Silicea 30 uses in hindi | साइलीशिया 30 होम्योपैथिक मेडिसिन के उपयोग
silicea 30 uses in hindi : साइलीशिया 30 होम्योपैथिक मेडिसिन एक बहुत ही गहरी क्रिया करने वाली ऐन्टि-सेरिक, ऐन्टि-साइकोटिक और ऐन्टि सिफिलिटिक मेडिसिन है। इस मेडिसिन का असर रोगी के शरीर मे काफी लंबे समय तक रहता है और इसके साथ ही ये बच्चे को जन्म लेने के साथ होने वाले रोगों में बहुत उपयोगी होती है। इस दवा से पारे के बुरे असर को दूर किया जा सकता है। अगर किसी को कोई नई बीमारी होती है तो साइलीशिया 30 उसे बहुत जल्दी ठीक करती है।
Silicea 30 Uses In Hindi : विभिन्न रोगों के लक्षणों के आधार पर साइलीशिया 30 होम्योपैथिक मेडिसिन से होने वाले लाभ –
साइलीशिया 30 के लिए मन से सम्बंधित लक्षण – Silicea 30 Uses in Hindi for Mind
रोगी अपने जीवन से परेशान हो जाता है वह सोचता है कि उसका जीना बेकार है वह किसी काम का नहीं है, जरा सा भी शोर-शराबा होते ही रोगी डरने लगता है, बच्चे बहुत ज्यादा जिद्दी और चिड़चिड़े हो जाते है, अगर कोई उनको प्यार भी करने लगता है तो वो चिल्लाने लगता है, रोगी हर समय बेचैनी सी ही रहता है,
रोगी को अगर कोई दिमागी काम करने के लिए दे दिया जाए तो वो उस काम को करने में बिल्कुल असमर्थ हो जाता है, रोगी हर समय किसी गहरी चिंता में डूबा रहता है, रोगी को डरावने सपने आने लगते हैं, रात को काफी रात तक रोगी बिल्कुल भी सो नहीं पाता है। रोगी को इन लक्षणों के आधार पर साइलीशिया 30 होम्योपैथिक मेडिसिन देने से रोगी कुछ ही दिनों में स्वस्थ हो जाता है।
साइलीशिया 30 के लिए सिर सें सम्बंधित लक्षण – Silicea 30 Uses in Hindi for Head
रोगी अगर ऊपर की ओर देखता है तो उसका सिर घूमने लगता है, रोजाना होने वाला सिर का दर्द जो सिर के पीछे के हिस्से से शुरू होता है, सिर के ऊपर तक फैलता है तथा आंखों के ऊपर तक फैल जाता है, रोगी को अपना सिर बहुत बड़ा सा महसूस होता है, रोगी को जरा सी भी हवा लगते ही सिर में दर्द बहुत तेज हो जाता है, लेकिन पेशाब करने से सिर का दर्द कम हो जाता है, जरा सा भी शोर-शराबा होने से या दिमागी काम करने से रोगी के सिर का दर्द बढ़ जाता है, लेकिन सिर पर कसकर पट्टी बांधने से सिर का दर्द कम हो जाता है, रोगी अगर उपवास रखता है तो उनके सिर में दर्द होने लगता है, रोगी के सिर में बहुत ज्यादा पसीना आता है। इन लक्षणों के आधार पर रोगी को साइलीशिया 30 होम्योपैथिक मेडिसिन देने से लाभ होता है।
साइलीशिया 30 के लिए आंखों सें सम्बंधित लक्षण – Silicea 30 Uses in Hindi for Eye
रोगी की आंखों में आंसुओं की नली में सूजन आना, आंखों के किनारों में फुंसियां सी हो जाना, आंखों में जलन होना, आंखों में थोड़ी सी ठण्डी हवा लगते ही परेशानी पैदा हो जाना, जो लोग आफिस मे काम करते है उनको होने वाला मोतियाबिंद, आंखों की कनीनिका में किसी तरह की चोट लग जाने के बाद होने वाली परेशानी, रोशनी में आते ही आंखों में दर्द हो जाना, कनीनिका में सूजन आ जाना, आंखों का भ्रम अर्थात रोगी जब पढ़ता है तो उसको अक्षर साथ-साथ चलते हुए दिखाई देते हैं। इस तरह के आंखों के रोगों के लक्षणों में रोगी को साइलीशिया 30 होम्योपैथिक मेडिसिन का सेवन कराने से लाभ मिलता है।
साइलीशिया 30 के लिए कान से सम्बंधित लक्षण – Silicea 30 Uses in Hindi for Ear
रोगी को सुनाई देना बिल्कुल बंद हो जाना, कानों में बहुत तेज-तेज आवाजें गूंजती हुई सी सुनाई देना, जरा सा भी शोर-शराबा होते ही कानों में दर्द हो जाना, कान के अंदर से बदबूदार स्राव का आना, किसी की बात को साफ तरह से ना सुन पाना जैसे कान के रोगों के लक्षणों में रोगी को साइलीशिया 30 होम्योपैथिक मेडिसिन का सेवन कराना लाभदायक साबित होता है।
साइलीशिया 30 के लिए नाक से सम्बंधित लक्षण – Silicea 30 Uses in Hindi for Nose
नाक के अंदर के भाग पर सूखी, सख्त सी पपड़ियों का जम जाना जिनको अगर छुड़ाया जाता है तो उनमें से खून निकलने लगता है, सुबह के समय छींके बहुत ज्यादा आती है, किसी भी चीज की खुशबू या बदबू का नाक से सूंघ कर पता नहीं लगाया जा सकता, नाक की ग्रंथियों का इतना नाजुक हो जाना कि उनको छूते ही नाक में दर्द चालू हो जाता है, नाक की नोक पर खुजली सी होना। इन लक्षणों में रोगी को साइलीशिया 30 होम्योपैथिक मेडिसिन देने से लाभ मिलता है।
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साइलीशिया 30 के लिए गले सें सम्बंधित लक्षण – Silicea 30 Uses in Hindi for Throat
मुंह के अंदर तालू के पिछले भाग की ग्रंथि में रोजाना आने वाली सूजन और उस में किसी चीज के चुभने जैसा दर्द होना, सर्दी का गले में बैठ जाना, कान की ग्रंथियों का सूज जाना, रोगी जैसे ही कुछ चीज खाकर निगलता है तो उसके गले में दर्द होता है, गर्दन की ग्रंथियों की सख्त और ठण्डी सूजन आना जैसे लक्षणों में रोगी को साइलीशिया 30 होम्योपैथिक मेडिसिन देना बहुत ही उपयोगी साबित होता है।
साइलीशिया 30 के लिए चेहरे से सम्बंधित लक्षण – Silicea 30 Uses in Hindi for Face
रोगी का चेहरे का रंग एकदम फीका सा पड़ जाना, रोगी के होंठों पर फुंसियां और छाले हो जाना जिनको जरा सा भी हाथ लगाते ही दर्द शुरू हो जाता है, मुंह के अंदर नीचे वाले जबड़े की गिल्टियों में दर्द और सूजन आ जाती है, मुंह के कोनों का कटा-फटा सा होना आदि लक्षणों में साइलीशिया 30 होम्योपैथिक मेडिसिन का प्रयोग करना उपयोगी साबित होता है।
साइलीशिया 30 के लिए मुंह से सम्बंधित लक्षण – Silicea 30 Uses in Hindi for Mouth
रोगी के मसूढ़ों में सूजन के साथ दर्द का होना, रोगी को ऐसा लगता है जैसे कि उसके सारे दांत ढीले पड़ गए है, रोगी अगर ठण्डा पानी पीता है तो उसके मसूढ़ों में दर्द होने लगता है, रोगी को अपनी जीभ के आगे के हिस्से पर हर समय कोई बाल सा चिपका हुआ महसूस होता है, सुबह के समय मुंह से बहुत ज्यादा बदबू आती है। इन लक्षणों के आधार पर रोगी को साइलीशिया 30 होम्योपैथिक मेडिसिन देना बहुत ही लाभकारी साबित होता है।
साइलीशिया 30 के लिए मूत्र (पेशाब) सें सम्बंधित लक्षण – Silicea 30 Uses in Hindi for uterus
पेशाब का अपने आप ही लाल या पीले तलछट का आना, रोगी जब मलक्रिया के लिए जोर लगाता है तो उस समय वीर्य टपकता रहता है। बच्चों के पेट में कीड़े होने के कारण रात को बच्चा बिस्तर में ही पेशाब कर देता है। इन सारे लक्षणों में रोगी को साइलीशिया 30 होम्योपैथिक मेडिसिन देना बहुत ही उपयोगी साबित होता है।
साइलीशिया 30 के लिए बुखार से सम्बंधित लक्षण – Silicea 30 Uses in Hindi for Fever
रोगी को बहुत ज्यादा ठण्ड सी लगना, जरा सी भी ठण्डी हवा लगते ही रोगी को बुखार आ जाना, रात के समय रोगी को बहुत ज्यादा पसीना आना, रोगी को बुखार में बिल्कुल प्यास नही लगती, रोगी को बंद कमरे में या गर्म कमरे में भी ठण्ड लगती है
रोगी को हर समय कंपकंपी सी होती रहती है, बुखार शाम को शुरू होता है और रात को बहुत तेज हो जाता है, रोगी को रात के समय पसीना आने से कमजोरी महसूस हो जाती है, रोगी के हाथ, पिण्डलियों, तलुवों, पैर के अंगूठे और बगल में बदबूदार पसीना आता है, रोगी को रूक-रूक कर आने वाले बुखार में रोगी को गर्मी बहुत ज्यादा लगती है। इस तरह के लक्षणों में रोगी को साइलीशिया 30 होम्योपैथिक मेडिसिन देने से लाभ होता है।
साइलीशिया 30 के लिए नींद से सम्बंधित लक्षण :
रोगी नींद में उठकर चलने लगता है, रोगी नींद में बार-बार चौंक कर उठ जाता है, रोगी को सारे दिन नींद सी आते रहना, नींद ना आने के साथ खून के बहाव का बहुत ज्यादा होना और सिर में गर्मी का बढ़ जाना, रोगी को डरावने से सपने आना आदि लक्षणों में रोगी का साइलीशिया 30 होम्योपैथिक मेडिसिन का सेवन कराना लाभकारी रहता है।
साइलीशिया 30 के लिए पीठ से सम्बंधित लक्षण :
रोगी की रीढ़ की हड्डी का कमजोर हो जाना, रोगी की पीठ पर ठण्डी हवा लगते ही पीठ में परेशानी हो जाना, रोगी की पुच्छास्थि में दर्द का होना, रीढ़ की हड्डी में चोट लगने के बाद रीढ़ की हड्डी में जलन सी हो जाना, रीढ़ की हड्डी में होने वाले रोग, रीढ़ की हड्डी में टी.बी हो जाना आदि लक्षणों में रोगी को साइलीशिया 30 होम्योपैथिक मेडिसिन का प्रयोग कराना उपयोगी साबित होता है।
साइलीशिया होम्योपैथिक मेडिसिन के उपोयोग – Silicea Homeopathic Medicine Uses in Hindi
साइलीशिया 30 के लिए शरीर के बाहरी अंग से सम्बंधित लक्षण – रोगी को गृध्रसी (साइटिका) रोग होना, रोगी के नितंबों, टांगों और पैरों में होता हुआ दर्द, पैरों के गुल्फों और तलुवों में बायंटा सा आना, टांगों का बहुत कमजोर हो जाना, किसी भी काम को करते समय हाथों का कांपना होना
हाथों की उंगलियों के नाखूनों में किसी रोग के होने के कारण नाखूनों पर सफेद से निशानों का पड़ना, रोगी के पैरों के नाखूनों का अंदर की ओर से बढ़ना, रोगी के पैरों का बर्फ की तरह ठण्डा होना, रोगी के पैरों में बहुत ज्यादा पसीना आना, रोगी जिन अंगों के बल लेटता है वो अंग सुन्न पड़ जाता है,
रोगी के हाथों, पैरों और बगल में बदबूदार पसीना आना, रोगी को उंगलियों की नोकों में ऐसा महसूस होता है जैसे की उंगलियां पक रही हो, अंगुलबेढ़ा, रोगी के घुटनों में इस तरह का दर्द होना जैसे कि किसी ने घुटनों को कसकर बांध दिया हो, पैरों की उंगलियों के नीचे दर्द का होना, पैरों और टखनों और अंगूठों के बीच में होकर तलुवों में होने वाली परेशानी जैसे लक्षणों में रोगी को साइलीशिया 30 होम्योपैथिक मेडिसिन का सेवन कराना उपयोगी साबित होता है।
साइलीशिया 30 के लिए आमाशय सें सम्बंधित लक्षण :
रोगी को मांस और गर्म भोजन को देखते ही जी खराब हो जाता है, भोजन निगलने पर भोजन अपने आप ही नासारंध्र में पहुंच जाता है, रोगी को बिल्कुल भूख न लगना, रोगी को बार-बार प्यास लगती है, रोगी जब भोजन करता है तो उसके बाद उसे खट्टी डकारें आना चालू हो जाती है, रोगी के पेट को जरा सा भी दबाते ही दर्द होने लगता है, किसी भी पीने वाले पदार्थ को पीते ही रोगी उल्टी कर देता है। इन लक्षणों के आधार पर रोगी को साइलीशिया 30 होम्योपैथिक मेडिसिन देना अच्छा रहता है।
साइलीशिया 30 के लिए पेट से सम्बंधित लक्षण :
रोगी का पेट बहुत ज्यादा फूल जाना, रोगी के पेट में दर्द होना या दर्द के कारण उत्पन्न ठण्डक सी महसूस होना जो बाहर की गर्मी से कम हो जाता है, रोगी के पेट में पेट में दर्द होना का बनना, रोगी के हाथ और नाखूनों का पीला पड़ जाना, आंतों के अंदर बहुत ज्यादा गड़गड़ाहट सी होना, जिगर का खराब हो जाना, रोगी की वक्षण ग्रंथियों का दर्द के साथ सूज जाना जैसे लक्षणों के आधार पर रोगी को साइलीशिया 30 होम्योपैथिक मेडिसिन का प्रयोग कराना उचित रहता है।
साइलीशिया 30 के लिए मलान्त्र से सम्बंधित लक्षण – रोगी को मलत्याग करने के बाद मलान्त्र में बहुत तेजी से दर्द का होना, रोगी को अपना मलद्वार चिरा हुआ सा महसूस होता है, रोगी के मलान्त्र में गुदा का नासूर बनना, रोगी को भगंदर का रोग होना, रोगी को मलक्रिया के समय मल पूरी तरह से बाहर नही आ पाता और थोड़ा बहुत बाहर भी आता है तो फिर दुबारा अंदर चला जाता है।
मल का बहुत कम मात्रा में, सख्त रूप में, छोटी-छोटी गुठलियों के आकार में, बदबू के साथ आता है, मल का रंग हल्का सा होना जैसे लक्षणों में रोगी को साइलीशिया 30 होम्योपैथिक मेडिसिन देने से आराम मिलता है।
साइलीशिया 30 के लिए स्त्री रोगों से सम्बंधित लक्षण –
स्त्री का मासिकस्राव काफी समय तक न आना और कभी आना भी तो स्राव का बहुत कम मात्रा में आना, स्त्री जब पेशाब करती है तो उसको पेशाब के साथ दूध जैसा स्राव आता है, तीखा प्रदर स्राव (योनि में से तीखा पानी आना), स्त्री की योनि और योनि के रास्ते में खुजली सी होना,
स्त्री का एक मासिकस्राव आने के बाद और दूसरा मासिकस्राव आने से पहले के बीच के समय में खून का आना, स्त्री जब बच्चे को दूध पिलाती है तो उस समय स्त्री की योनि में से खून का स्राव होता है, स्त्री जब तक अपने बच्चे को अपना दूध पिलाती है तब तक स्त्री का मासिकस्राव नहीं आता है,
बच्चे को दूध पिलाते समय स्त्री के स्तनों से पीठ तक तेजी से होने वाला दर्द तथा इसी के साथ ही स्त्री के दान्तों में भी दर्द होना, गर्भाशय या योनि में मांस का बढ़ना, स्त्री के स्तनों में सख्त सी गांठों का पड़ जाना, स्त्री के गर्भाशय में कैंसर का होना जैसे लक्षणों में रोगी को साइलीशिया 30 होम्योपैथिक मेडिसिन का इस्तेमाल कराना बहुत ही उपयोगी साबित होता है।
साइलीशिया 30 के लिए पुरुष रोग से सम्बंधित लक्षण –
रोगी के अंडकोषों में पानी भर जाना, रोगी के जननेन्द्रियों में जलन और दर्द होना, रोगी को रात के समय अपने आप ही वीर्य का निकल जाना, स्त्री के साथ संभोग करने के बाद शरीर में थकावट सी महसूस होना और कमर में दर्द होना, बच्चों के अंडकोषों का बढ़ जाना आदि लक्षणों में रोगी को साइलीशिया 30 होम्योपैथिक मेडिसिन देने से लाभ होता है।
Silicea 30 Uses for skin in Hindi : साइलीशिया 30 के लिए चर्म (त्वचा) सें सम्बंधित उपयोग
साइलीशिया 30 के लिए चर्म (त्वचा) सें सम्बंधित लक्षण – रोगी को अंगुल बेढ़ा होना, रोगी की त्वचा पर पुराने नासूर जैसे जख्मों का होना, उंगलियों की नोक में दरारें पड़ना, ग्रंथियों की वेदनाहीन सूजन, रोगी की त्वचा पर गुलाबी रंग के निशान से पड़ना, फोड़ों में से बदबूदार पीब का आना, रोगी को लगने वाली छोटी से छोटी चोट पक भी जाती है,
रोगी को टीका लगाने के बाद होने वाले रोग, त्वचा पर कोढ़ होना, उंगलियों की नोक का सूख जाना। इन सब लक्षणों के आधार पर रोगी को साइलीशिया 30 होम्योपैथिक मेडिसिन का प्रयोग कराने से लाभ होता है।
साइलीशिया 30 के लिए सांस से सम्बंधित लक्षण – मुंह से थूक का निरंतर निकलते रहना, रोगी को होने वाला सर्दी-जुकाम का रोग ठीक नहीं होता, खांसी और गले में जलन, खांसी के साथ दिन में बलगम का खून के साथ आना, छाती से होकर पीठ तक सुई के चुभने जैसा दर्द होना, रात को सोते समय बहुत तेज खांसी के साथ गाढ़ा, पीला, ढेलेदार बलगम का आना आदि रोगों में रोगी को साइलीशिया 30 होम्योपैथिक मेडिसिन का सेवन लाभदायक रहता है।
वृद्धि – अमावस्या के आने के बाद, सुबह के समय, धोने-धुलाने से, मासिकस्राव के दौरान, नंगा रहने पर, लेटते समय आर्द्रता से, बाईं करवट लेटने से और ठण्ड से रोग के लक्षणो मे वृद्धि होती है।
शमन – गर्माई से, सिर को लपेटने से, गर्मी के मौसम में रोग बढ़ जाता है।
पूरक – फ्लोरि-ए, सैनीक्यू, थूजा।
तुलना – साइलीशिया 30 होम्योपैथिक मेडिसिन की तुलना ब्लैक गनपाउडर, हीपर, काली-फा, पिक्रि-ए, कल्के, टैबाशीर, एरुण्डो डोनैक्स से की जा सकती है।
मात्रा – रोगी को साइलीशिया 30 होम्योपैथिक मेडिसिन की 6 से 30 शक्ति तक देने से रोगी को जल्दी आराम मिलता है।
जानकारी – रोगी को साइलीशिया 30 होम्योपैथिक मेडिसिन की 200 और ऊंची शक्तियां तक देने से लाभ होता है।
Silicea 30 की खुराक और इस्तेमाल करने का तरीका – Silicea 30 Dosage & How to Take in Hindi
होम्योपैथिक चिकित्सा पद्धिति को उपचार की एक सुरखित चिकित्सा पद्धिति माना जाता है और किसी भी रोग का उपचार करने पर यह दवाएं रोग को जड़ से समाप्त कर देती हैं |
होम्योपैथिक दवाओं का असर धीमा होता है मगर यह रोग को जड़ से ख़त्म भी करता है जबकि इसके विपरीत एलोपेथिक चिकित्सा पद्धिति में दवाओं का असर तो जल्दी होता है मगर यह रोग को जड़ से समाप्त करने में कारगर नहीं होती है |
Silicea 30 की खुराक और इस्तेमाल जब भी आप कर रहे है तो आपको कुछ बातों का ध्यान रखना जरुरी होता है –
- Silicea 30 का उपयोग करते समय इनको ठंडी और अँधेरी जगह पर रखना आवश्यक है |
- Silicea 30 की खुराक लेते समय हाथों से छूना ठीक नहीं होता है इस से दवा के लाभ मिल नहीं पाते है |
- अगर आप Silicea 30 दवा की खुराक ले रहे है तो आपको कांच के ग्लास में लेना चाहिए
Silicea 30 से सम्बंधित चेतावनी – Silicea 30 Related Warnings in Hindi
होम्योपैथिक दवा Silicea 30 को अपने घर में सावधानी से रखना चाहिए क्योंकि अधिक धूप में या अधिक तापमान वाली जगह पर रखने से होम्योपैथिक दवा ख़राब हो जाती है |
जब भी Silicea 30 होम्योपैथिक दवा का डोज ले रहे है तो ध्यान रखें की दवा का डोज ऑवेरलेप ना हो अगर ऐसा होता है तो दवा का लाभी नहीं मिल पाता है |
सामान्य तौर पर तो होम्योपैथिक दवा Silicea 30 का किसी प्रकार का कोई हानिकारक प्रभाव नहीं है मगर फिर भी स्तनपान कराने वाली महिलाओं को यह दवा बिना डॉक्टर की सलाह के नहीं लेना चाहिए
- गर्भवती महिलाओं के लिए यह दवा सुरक्षित है इसका कोई हानिकारक प्रभाव देखने को नहीं मिलता है |
- अगर कोई रोगी किडनी के रोग से ग्रसित है और वह इस दवा का उपयोग करता है तो का कोई दुष्प्रभाव नहीं होगा यह सुरखित है |
- गर्भवती महिलाओं के लिए यह दवा सुरक्षित है इसका कोई हानिकारक प्रभाव देखने को नहीं मिलता है |
- अगर कोई रोगी किडनी के रोग से ग्रसित है और वह इस दवा का उपयोग करता है तो का कोई दुष्प्रभाव नहीं होगा यह सुरखित है |
होम्योपैथिक दवाओं का उपोग करते समय सावधानी – Caution While Using Homeopathic Medicines :
अगर आप होम्योपैथिक उपचार लेते हैं तो आपको डॉक्टर द्वारा बताये गए सभी प्रकार के नियमों का पालन करना चाहिए, अगर आप ऐसा नहीं करते है तो आपको इन दवाओं का लाभ नहीं मिलता है |
दवा खाते समय हाथ में ना लेते हुए उसको खांच के ग्लास या किसी भी कांच के बर्तन का उपयोग कर सकते है |
अगर दवा को डॉक्टर ने तरल रूप में दिया है तो उसको उसी प्रकार लेने से ही लाभ मिलता है |
Silicea 30 और एलोपथिक दवाओं में अंतर – Difference Between Silicea 30 And Allopathic Medicines :
अगर आप किसी भी रोग के उपचार के लिए होम्योपैथिक और एलोपथिक दोनों दवाओं में से किसी एक को चुनते है तो आपको कुछ आवश्यक बातों का ध्यान रखना जरुरी है –
- इस दवा का उपयोग करके आप रोग को जड़ से ख़त्म कर सकते है, जबकि एलोपथिक दवा से किसी रोग का जड़ से इलाज कुछ रोगों में ही हो पाता है |
- एलोपथिक दवाओं का लम्बे समय तक उपयोग करने से कई प्रकार के शारीरिक दुष्प्रभाव देखने को मिलते है मगर होम्योपैथिक दवाओं का दुष्प्रभाव बहुत ही कम देखने को मिलता है |
- होम्योपैथिक दवाओं का सेवन बहुत ही आसान है और बच्चों से ले कर बूढों तक कोई भी इन दवाओं को आराम से खा सकता है |
- बच्चों के लिए इन दवाओं का सेवन करना बहुत ही लाभकारी होता और बच्चे इन दवाओं को खाने में किसी भी प्रकार की समस्या नहीं करते है उसका कारण है की यह दवाएँ मीठी गोलियों के रूप में दी जाती है |
- एलोपथिक दवाएं अधिकतर स्वाद में कड़वी होती है इस कारण बच्चे इनको खाने में समस्या करते है और आसानी से इन दवाओं का सेवन नहीं करते है |
- होम्योपैथिक दवाएँ थोडा धीमा असर कारती है जबकि एलोपैथी की दवाएं थोडा जल्दी अपना असर दिखाती है |
- अगर आपको तुरंत राहत चाहिए तो आप एक सीमित समय के लिए एलोपकी दवाओं का उपयोग कर सकते है, मगर यह सिर्फ एक सीमित समय अवधि तक ही आराम दे सकती हैं |
- अगर आप रोग से हमेशा के लिए छुटकारा चाहते है तो आपके लिए होमियोपैथी की दवाओं का उपयोग लाभकारी होता है |