Arnica 200 Uses in Hindi – आर्निका मोंटाना 200 का उपयोग, लाभ और लक्षण
Arnica 200 Uses In Hindi : चोट लगने के कारण उत्पन्न होने वाले घाव को ठीक करने के लिए आर्निका मोंटाना 30 का उपयोग करना लाभदायक होता है। चोट चाहे पुराना हो या नया या कई वर्षो पुराना यह सभी प्रकार के चोट के रोगों को ठीक कर सकता है।
आर्निका मोंटाना 200 रोगी की ऐसी अवस्था को ठीक करता है जिसके कारण रोगी घायल होता है, गिरने के कारण घाव होने, गुम चोट लगने या किसी भी तरह से घायल होने के कारण उत्पन्न घाव आदि। इन लक्षणों के साथ रोगी के कानों के अन्दर भिनभिनाहट सी आवाज होती है। पीब बनने की प्रक्रिया गतिशील रहती है। यह घाव में पीब बनने को रोकता है तथा उसे जल्दी ही ठीक कर देता है, ऐसे घाव के कारण रोगी का चेहरा लाल भी हो जाता है तथा चेहरे पर गर्मी महसूस होती है।
आर्निका मोंटाना 200 रोगी के उन अवस्थाओं में भी विशेष उपयोगी है जो वर्तमान समय में किसी कोई चोट के कारण उत्पन्न घाव हो। चाहे वह कितना ही पुराना घाव क्यों न हो। चोट शरीर के किसी भी भाग में क्यों न हो यह सभी प्रकार के घावों को ठीक कर सकता है।
मस्तिष्क में किसी प्रकार से रक्त जमा होने के कारण उत्पन्न रोग, शरीर में दूषित रक्त जमा होने के कारण उत्पन्न रोग, हृदय में जल भर जाने के कारण सांस लेने में परेशानी होना, किसी रोग के कारण उत्पन्न पेशियों में चोट या घाव, अधिक शोक करने के कारण उत्पन्न रोग, आर्थिक कारण से उत्पन्न चोट। इस प्रकार के चोट की अवस्था में शरीर के कई अंगों में दर्द होता रहता है। रोगी को ऐसा महसूस होता है कि पिटाई हुई है और ऐसा लगता है कि जोड़ों में मोच आ गई है। इस प्रकार के लक्षणों से पीड़ित रोगी के लक्षणों को ठीक करने के लिए आर्निका मोंटाना 200 का उपयोग करना चाहिए।
आर्निका मोंटाना 200 की खून पर प्रभावी क्रिया होती है, जिसके फलस्वरूप शरीर की शिरा-जाल (वेनस सिस्टम) भी प्रभावित होता है।
आर्निका मोंटाना 200 रोगी के उस अवस्था में भी उपयोगी है जब शरीर में कुचलन जैसी अवस्था उत्पन्न हो जाती है तथा चोट वाले स्थान पर स्पर्श (छूना) करना सहन नहीं होता, बिस्तर अधिक कठोर लगता है और इन लक्षणों के साथ-साथ रोग के सिर तथा चेहरा दोनों ही भाग गर्म हो जाते हैं लेकिन शरीर के अन्य अंग ठण्डे रहते हैं।
जब किसी प्रकार से चोट लग जाने से अंग पर काला लम्बा दाग उभर आता है तो इसको ठीक करने के लिए आर्निका मोंटाना 200 का उपयोग करना फायदेमंद होता है।
रोगी चिड़चिड़ा तथा क्रोधी स्वभाव का हो जाता है, रोगी चाहता है कि उसे कोई भी न छेड़े, चुप चाप अकेला ही पड़ा रहे तथा वह रूखापन स्वभाव का हो जाता है, बेचैनी होने लगती है, मानसिक स्थिति कमजोर हो जाती है, चुपचाप रहने का मन करता है, रोगी अपनी परेशानी को किसी भी व्यक्ति से बताना नहीं चाहता। इस प्रकार के लक्षणों को ठीक करने के लिए आर्निका मोंटाना 200 का उपयोग करना चाहिए।
आर्निका मोंटाना 200 के उपयोग और लाभ – Homeopathic Medicine Arnica 200 Uses and Benefits In Hindi
आर्निका मोंटाना 200 के लिए मन से सम्बन्धित लक्षण
यदि किसी रोगी को किसी प्रकार से चोट लग जाने के कारण घाव हो गया हो तथा उसके साथ रोगी का मन उदास रहता है या किसी अन्य प्रकार का रोग हो गया हो, अकेला रहने का मन नहीं करता हो, रोगी यह नहीं चाहता है कि कोई व्यक्ति उसके पास आए और उससे कुछ बोले, रोगी चिड़चिडा़ स्वभाव का हो जाता है, जरा सी बात पर डर जाता है, अनेकों प्रकार की कल्पनायें करता है, वह यह सोचता है कि उसे कोई कठिन बीमारी हो गई है, हृदय रोग हो गया है। रोगी जब रात के समय में सोता है तो उसे डरावने सपने आने लगते हैं, चोर, डाकू, कीचड़, बिजली की चमक आदि के सपने देखता है।
रोगी को सोते समय दिल में एक प्रकार की ऐसी परेशानी महसूस होती है कि मानो मृत्यु हो गई हो, मगर दिन के समय में इस प्रकार की परेशानी उसे कभी भी नहीं होती है, जिसको रेल या मोटर गाड़ी पर किसी प्रकार की दुर्घटना हुई हो, अक्सर नींद में इस प्रकार की तकलीफ़ होती है। इस प्रकार के लक्षणों में से यदि कोई भी लक्षण किसी व्यक्ति को हो गया है तो उसके रोग को ठीक करने के लिए आर्निका 200 का प्रयोग करना चाहिए जिसके फलस्वरूप रोग ठीक हो जाता है। इन लक्षणों के साथ ही रोगी का सारा शरीर और हाथ-पांव ठण्डे रहते हैं लेकिन सिर गर्म रहता है।
आर्निका 200 के लिए शरीर के बाहरी आंगों से सम्बन्धित लक्षण
रोगी के शरीर के कई भागों में इस तरह का दर्द होता है मानो किसी स्थान से गिरने से चोट लगने के कारण सारा शरीर कुचल गया है या किसी ने शरीर को कूट-कूटकर पीटा है, जब दर्द वाले भाग को छूते हैं तो और भी तेज दर्द महसूस होता है। शरीर के किसी स्थान पर चोट लगने या उस स्थान पर स्याही की तरह दाग पड़ जाने, गिरकर या चोट लगकर हड्डी या जोड़ के उखड़ या टूट जाने पर आर्निका 200 का प्रयोग करने से सूजन और दर्द जल्दी ठीक हो जाता है। किसी भारी चीज के उठाने या ऊंचे स्थान से किसी चीज़ को उतारने में यदि पुट्टों में मरोड़ या मोच आ गई हो तो आर्निका 200 औषधि उस दर्द को जल्दी ही ठीक कर देता है।
आर्निका 200 के लिए सिर से सम्बन्धित लक्षण
रोगी का सिर गरम तथा शरीर ठण्डा रहता है, भ्रम महसूस होता है, मस्तिष्क में तेज, चुटकी काट दिए जाने जैसा दर्द होता है, खोपड़ी सिकुड़ी हुई महसूस होती है, माथे पर ठण्डे धब्बे महसूस होते हैं, सिर चकराने की पुरानी शिकायत होती है, जब रोगी चलता है तो उसे सभी वस्तुएं घूमती हुई दिखाई देती हैं। इस प्रकार के लक्षणों से पीड़ित रोगी के रोग को ठीक करने के लिए आर्निका 200 का प्रयोग करना उचित होता है।
आर्निका 200 के लिए आंखों से सम्बन्धित लक्षण
आंखों पर लकवा का प्रभाव पड़ता है तथा जब रोगी बारीक काम करता है तो उसके बाद उसकी आंखों में कुचलन और दर्द होता है, रोगी आंखों को खोलकर रखता है, उन्हें बंद करते ही चक्कर आने लगते हैं। रोगी को कमजोरी तथा थकान महसूस होती है। ऐसे लक्षणों से पीड़ित रोगी के रोग को ठीक करने के लिए आर्निका 200 का प्रयोग करना फायदेमंद होता है।
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आर्निका मोंटाना 200 के लिए कान से सम्बन्धित लक्षण
रोगी के सिर की ओर रक्त का तेज बहाव होने के कारण कान के अन्दर तथा उसके आस-पास की त्वचा पर दर्द होने लगता है, कभी-कभी कानों से खून बहने लगता है। यदि किसी व्यक्ति के कान पर गुम चोट लग गई हो तथा इसके बाद उसे कम सुनाई देता हो, कान के उपास्थियों में दर्द हो रहा हो और ऐसा महसूस हो रहा हो जैसे कान कुचली हुई है। इस प्रकार के लक्षणों में से यदि कोई भी लक्षण किसी व्यक्ति को हो गया है तो उसके रोग के लक्षणों को ठीक करने के लिए आर्निका 200 का उपयोग करना लाभदायक होता है।
आर्निका 200 के लिए नाक से सम्बन्धित लक्षण
रोगी को खांसी होती है तथा खांसी के बाद रोगी के नाक से खून बहने लगता है, खून गहरे रंग का होता है, नाक में दर्द होने लगता है, रोगी को नाक पर ठण्ड महसूस होती है। इस प्रकार के लक्षणों को ठीक करने के लिए आर्निका 200 का प्रयोग करना चाहिए।
आर्निका 200 के लिए मुंह से सम्बन्धित लक्षण
रोगी के मुंह से बदबू आती है, मुंह में सुखापन महसूस होता है तथा प्यास अधिक लगती है, जीभ का स्वाद कड़वा हो जाता है, दांत को उखड़वाने के बाद मसूड़ों में दर्द होता है। इस प्रकार के लक्षणों से पीड़ित रोगी के लक्षणों को ठीक करने के लिए आर्निका 200 का उपयोग करना चाहिए।
आर्निका 200 के लिए चेहरे से सम्बन्धित लक्षण
चेहरा अन्दर की ओर धंस जाता है, चेहरा लाल तथा होंठ गर्म हो जाता है, चेहरे पर फोड़े-फुंसियां हो जाती है। इस प्रकार के लक्षणों से पीड़ित रोगी के लक्षणों को ठीक करने के लिए आर्निका 200 का उपयोग करना फायदेमंद होता है।
आर्निका 200 के लिए आमाशय से सम्बन्धित लक्षण
रोगी जब दूध और मांस का सेवन करता है तो उसे इसका स्वाद भद्दा लगता है, भूख तेज लगती है, खून की उल्टियां होने लगती हैं, जब रोगी खाना खाता है तो उसके आमाशय में दर्द होता है, पेट भरा हुआ महसूस होने के साथ भोजन से घृणा होती है, सांस लेने में परेशानी होती है, आमाशय में पत्थर जैसा दबाव महसूस होता है और ऐसा लगता है कि आमाशय रीढ़ की हड्डी से टकरा रही है, उल्टियां आती हैं तथा उसमें से बदबू आती है। इस प्रकार के लक्षणों में से यदि कोई भी लक्षण किसी व्यक्ति को हो गया है तो उसके रोग को ठीक करने के लिए आर्निका 200 का प्रयोग करना उचित होता है।
आर्निका 200 के लिए पेट से सम्बन्धित लक्षण
रोगी के पेट में चुभन जैसी दर्द होती है, पेट फूल जाता है, मलद्वार से बदबूदार हवा निकलती रहती है, कभी-कभी ऐसा महसूस होता है कि पेट में किसी ने चाकू घोप दिया है जिसके कारण दर्द हो रहा है। इस प्रकार के लक्षण होने पर रोगी के रोग को ठीक करने के लिए आर्निका 200 का उपयोग करना फायदेमंद होता है।
आर्निका 200 के लिए मल से सम्बन्धित लक्षण
रोगी को दस्त हो जाता है तथा पेट में ऐंठन होने लगती है, मल से गंदी बदबू आती है, कभी-कभी रोगी के मल से खून तथा पीब जैसा पदार्थ निकलता है। पेचिश रोग होने के साथ पेशियों में दर्द होता है। ऐसे रोग के लक्षणों को ठीक करने के लिए आर्निका 200 का उपयोग करना चाहिए।
आर्निका 200 के लिए मूत्र से सम्बन्धित लक्षण
अत्यधिक परिश्रम करने के बाद रोगी का पेशाब आना रुक जाता है तथा पेशाब का रंग ईट जैसा लाल तलछट हो जाता है, मूत्राशय में ऐंठन महसूस होती है। इस प्रकार के लक्षणों को ठीक करने के लिए आर्निका 200 का उपयोग करना चाहिए।
आर्निका 200 के लिए स्त्री रोग से सम्बन्धित लक्षण
जब रोगी स्त्री बच्चे को जन्म देती है तब उसके बाद शरीर के कई अंगों में कुचलन जैसा दर्द होता है।
रोगी स्त्री को सम्भोग करने के बाद बच्चेदानी से खून बहने लगता है।
रोगी स्त्री के चूचुकों में दर्द होता है, चोट लगने के फलस्वरूप स्तन में जलन होती है, रोगी स्त्री को ऐसा महसूस होता है कि उसका शिशु जो बच्चेदानी में है वह उल्टा-सीधा लेटा हुआ है।
इस प्रकार के लक्षणों में से यदि कोई भी लक्षण किसी स्त्री को हो गया है तो उसके रोग को ठीक करने के लिए आर्निका 200 का प्रयोग करना चाहिए।
आर्निका 200 के लिए वात और गठिया से सम्बन्धित लक्षण
यदि किसी व्यक्ति को वात तथा गठिया का रोग हो जाए और ऐसा महसूस हो रहा हो कि रोग ग्रस्त स्थान पर कुचलन जैसा दर्द हो रहा है तथा दर्द होने के कारण डर से किसी भी चीज को छूने का मन नहीं करता है। इस प्रकार के लक्षणों से पीड़ित रोगी के लक्षणों को ठीक करने के लिए आर्निका 200 का उपयोग करना चाहिए।
गठिया रोग से पीड़ित रोगी को किसी प्रकार का चोट लगने का डर रहता है और यहां तक कि रोगी डरता रहता है कि अगर कोई उसके पास भी आएगा या उसको छुएगा, धक्का देगा तो दर्द और भी तेज होगा, दर्द असहनीय हो जाता है। इस प्रकार के लक्षणों से पीड़ित रोगी के लक्षणों को ठीक करने के लिए आर्निका 200 का उपयोग करना फायदेमंद होता है।
आर्निका 200 के लिए पीब वाले घाव से सम्बन्धित लक्षण
यदि किसी रोगी को घाव हो गया है और उस घाव में मवाद बन गया है तथा तो उसके इस घाव को ठीक करने के लिए आर्निका मोंटाना 30 का उपयोग करना फायदेमंद होता है।
आर्निका 200 के उपयोग और लाभ – Homeopathic Medicine Arnica 200 Uses and Benefits In Hindi
आर्निका 200 के लिए टाइफायड और टाइफोमलेरिया से सम्बन्धित लक्षण
आर्निका 200 की खून पर अधिक असर होती है जिसके फलस्वरूप यह टाइफायड और टाइफोमलेरिया रोग को ठीक कर देता है। टाइफायड ज्वर से पीड़ित रोगी बेहोश पड़ा रहता है या बेहोशी में बड़बड़ाता रहता है। ऐसी अवस्था में रोगी से कोई बात पूछने पर वह प्रश्न का ठीक-ठीक उत्तर देकर फौरन बेहोशी की बातें शुरू कर देता है या सो जाता है, रोगी के शरीर में दर्द होने लगता है और दर्द ऐसा महसूस होता है कि जैसे दर्द वाला स्थान किसी चीज से कुचल गया हो, रोगी को बिस्तर बहुत सख्त महसूस होता है, सिर शरीर की अपेक्षा गर्म रहता है, पाखाना नियमित समय पर नहीं होता है, मल के साथ खून अधिक आता है, कूल्हे पर घाव होने लगता है। इस प्रकार के लक्षण होने पर रोगी के रोग को ठीक करने के लिए आर्निका 200 का उपयोग करना लाभदायक होता है।
आर्निका 200 के लिए अजीर्ण रोग से सम्बन्धित लक्षण
अजीर्ण रोग को ठीक करने में भी आर्निका 200 का लाभदायक प्रभाव देखने को मिलता है, इस प्रकार के लक्षणों से पीड़ित रोगी को डकारें आती है तथा डकार के साथ सड़े हुए अण्डे जैसी डकारें आती है और बदबूदार हवा मलद्वार से बाहर निकलता रहता है।
आर्निका 200 के लिए कुकर खांसी से सम्बन्धित लक्षण
यह औषधि काली खांसी को ठीक करने में भी लाभदायक है, रोगी को काली खांसी होने के साथ-साथ और भी लक्षण होते हैं जैसे- खांसी आने से पहले ही बच्चा रोने लगता है, खांसी आने पर डर लगने लगता है, रोगी को ऐसा महसूस होता है कि खांसी की झोक से सीने को फिर सख्त चोट पहुंचेगी।
आर्निका 200 के लिए हड्डी के दर्द से सम्बन्धित लक्षण
आर्निका मोंटाना 30 हड्डी के दर्द को ठीक करने में लाभदायक है, लेकिन रोगी को हड्डी में दर्द रहने के साथ-साथ और भी लक्षण होने चाहिए जो इस प्रकार हैं- रोगी के हडि्डयों में दर्द होने लगता है, दर्द ऐसा महसूस होता है कि जैसे कि दर्द वाला भाग कुचला हुआ है, दर्द वाले भाग में स्पर्श करने से और भी तेज दर्द होता है।
आर्निका 200 के लिए ज्वर से सम्बन्धित लक्षण
यदि किसी व्यक्ति को बुखार हो गया है और इसके साथ ही शरीर के कई भागों में दर्द हो रहा है तथा उसका पेशाब भी रुक गया है तो ऐसे रोग के रोग को ठीक करने के लिए आर्निका 200 का उपयोग करना चाहिए।
आर्निका 200 के लिए ठण्ड से सम्बन्धित लक्षण
रोगी को ठण्ड लगती है, बुखार हो जाता है, बुखार की तेजी बर्दाश्त नहीं होती है तथा इसके साथ प्यास लगती है, सारे शरीर में कुचलने जैसा दर्द होता है, बिस्तर बहुत कड़ा महसूस होता है, बार-बार करवटें बदलने पर परेशानी होती है। इस प्रकार के लक्षणों से पीड़ित रोगी के लक्षणों को ठीक करने के लिए आर्निका 200 का उपयोग करना चाहिए।
आर्निका 200 के लिए पसीने से सम्बन्धित लक्षण
रोगी के पसीने से खट्टी फफूंद की तरह बदबू आती है। इस प्रकार के लक्षणों को ठीक करने के लिए आर्निका मोंटाना 200 का उपयोग करना फायदेमंद होता है।
आर्निका 200 के लिए श्वास संस्थान से सम्बन्धित लक्षण
- रोगी को खांसी होने लगती है, खांसी के दौरे पड़ने लगते है, रात के समय में जब व्यायाम करते है तो खांसी और भी तेज होने लगती है।
- गले में सूजन, निमोनिया रोग, लकवा तथा इन रोगों के साथ ही श्वास लेने में परेशानी होती है।
- अधिक बोलने पर खांसी होती है तथा सुबह के समय में दर्द महसूस होता है।
- रोगी रोने धोने के साथ शोक तथा संताप करता है तथा इसके साथ ही उसे खांसी होने लगती है।
- रोगी को सांस नली के अन्दर तथा नीचे गुदगुदी होने के कारण सूखी खांसी होती है, बलगम के साथ ही खून भी निकलने लगता है, श्वास लेने में परेशानी होती है तथा कभी-कभी खून की उल्टियां भी हो जाती हैं तथा छाती में दर्द भी होता रहता है, चेहरे पर फोड़े तथा फुंसियां हो जाती हैं।
- काली खांसी हो जाती है तथा खांसने से पहले बच्चा रोने लगता है तथा उसे फेफड़ों में दर्द भी होने लगता है।
- इस प्रकार श्वास से सम्बन्धित लक्षणों से पीड़ित रोगी के रोग को ठीक करने के लिए आर्निका मोंटाना 30 का प्रयोग करना चाहिए जिसके फलस्वरूप रोग ठीक हो जाता है।
आर्निका 200 के लिए हृदय से सम्बन्धित लक्षण
हृदय में दर्द होने लगता है, इसके साथ ही रोगी के बायें बाजू की कुहनी में भी दर्द होने लगता है, हृदय में दर्द सुई की चुभन जैसी महसूस होती है, नाड़िया कमजोर हो जाती हैं, हृदय में सूजन हो जाता है, सांस लेने में परेशानी होने लगती है, शरीर के बाहरी अंगों में फैलाव होने लगता है और कई भागों में दर्द महसूस होता है तथा हृदय की गति बढ़ जाती है। इस प्रकार के लक्षणों से पीड़ित रोगी के लक्षणों को ठीक करने के लिए आर्निका 200 का उपयोग करना लाभदायक होता है।
आर्निका 200 के लिए त्वचा रोग से सम्बन्धित लक्षण
शरीर के कई अंगों की त्वचा पर काला और नीला दाग हो गया हो या खुजली तथा जलन हो रही हो या फिर छोटे-छोटे दाने-फुंसियां हो गई हों, छोटे-छोटे फोड़ें झुण्डों में हो, चेहरे पर मुंहासें हो गया हो तो इस प्रकार के लक्षणों में से कोई भी लक्षण यदि रोगी को हो गया हो तो उसके रोग को ठीक करने के लिए आर्निका 200 का उपयोग करना चाहिए।
आर्निका 200 के लिए नींद से सम्बन्धित लक्षण
रोगी को अधिक थकान महसूस हो रही हो और इसके साथ ही बेचैनी हो रही हो तथा बेहोशी जैसी समस्या हो गई हो, जागने पर सिर गरम हो जाता है, मृत्यु का डर लगने लगता है, शरीर के कई अंगों में दर्द होता रहता है, डरावने सपने आने लगते हैं, रात के समय में डर लगता है, नींद के दौरान बिस्तर पर मल निकल जाता है। इस प्रकार के लक्षणों में से कोई भी लक्षण यदि रोगी को हो गया हो तो उसके रोग को ठीक करने के लिए आर्निका 200 का उपयोग करना चाहिए जिसके फलस्वरूप रोग ठीक हो जाता है।
सम्बन्ध (रिलेशन) :- रस-टाक्स, हाइपर तथा ऐकोन के साथ पूरक सम्बन्ध।
वृद्धि (ऐगग्रेवेशन) :- स्थिर रहने से, लेटे रहने से तथा शराब पीने से रोग के लक्षणों में वृद्धि होने लगती है।
शमन (एमेलिओरेशन-ह्रास) :- सिर को नीचा रखकर लेटने से रोग के लक्षण नष्ट होने लगते हैं।
मात्रा (डोज) :- आर्निका 200 तीसरी से तीसवीं शक्ति चोट को ठीक करने के लिए इस औषधि 1000 और 1 लाख शक्ति का प्रयोग कर सकते हैं। स्थानिक रोग को ठीक करने के लिए मूलार्क का उपयोग करना चाहिए, लेकिन गर्म घोल के रूप में इसका प्रयोग कभी भी नहीं करना चाहिए या जब चमड़ी छिली हुई हो या उस पर कोई घाव हो तो इसका उपयोग बिल्कुल नहीं करना चाहिए।