Lycopodium 30 Uses in Hindi | लाइकोपोडियम 30 का उपयोग, लाभ और खुराख
Lycopodium 30 Uses in Hindi : लाइकोपोडियम एक होम्योपैथिक दवा है, इस दवा को बनाने के लिए इसके बीजो को कुचला जाता है उसके बाद ही यह दवा अपना असर करती है यह दवा शरीर के लगभग हर भाग पर अपना असर दिखाती है मुख्य रूप से जहाँ मूत्र प्रणाली की खराबियाँ पायी जा रही हो तो इस दवा का प्रयोग लाभ देता है. यह दवा मुख्य रूप से उन रोगों के लिए अधिक लाभदायक है जो धीरे-धीरे पनपते हो और पीड़ित अंग दुर्बल हो गया हो, रोगी की पाचन शक्ति कमजोर हो जाती है और उसको जिगर संबंधी विकार होते है.
इस दवा का रोगी दुर्बल, पोषणाभाव, कफ प्रकृति वाला, स्वभाव कोमल और नजले की शिकायते आने का झुकाव अधिक रहता है, बड़ी उम्र के लोगो की त्वचा पर पीले से दाग उभर आते है और त्वचा की रंगत बदल जाती है. अगर रोगी के लक्षणों में दोपहर 4 बजे से रात 8 बजे तक अधिक वृद्धि होती है और कष्ट बढ़ जाता है तो लाइकोपोडियम का उपयोग करने से जल्दी लाभ मिलता है. रोगी को गुर्दे के रोगों में पेशाब के साथ रेट के लाल कण आते है और गुर्दे की जगह कमर दर्द होता है.
रोगी कुछ भी ठंडा खाना या पीना नहीं चाहता हमेशा हर चीज़ गर्म ही चाहता है, ऐसे रोग जो शरीर में गहराई तक चले गए है और धीरे-धीरे पनप रहे है तो इस दवा का प्रयोग बहुत लाभदायक होता है.
विभिन्न रोगों के लक्षणों में Lycopodium 30 का उपयोग : Lycopodium 30 Uses in Hindi
मन – रोगी का मन बहुत ही खिन्न हो जाता है और वह हमेशा जरा-जरा सी बात पर नाराज़ हो जाता है, रोगी हमेशा अकेला रहना चाहता है उसके अन्दर आत्मविश्वास की काफी कमी होती है उसको दिमागी कमजोरी होती है.
सर के लक्षण – रोगी अपना सर बिना किसी कारण के हिलाता है, उसके चहरे और मुहं पर ऐठन आती है, रोगी की चाँद पर गड़न के साथ दर्द होता है जो दोपहर 4 बजे से रात 8 बजे के बीच होता है और अधिक कष्ट बड़ता है. रोग लेटने या झुकने या फिर हर बार नियमपूर्वक ना खाने से कष्ट और भी बढ़ जाता है.
रोगी को खांसी का दौरा आता है और हर बार खांसी का दौरा आने के बाद धड़कन तेज़ और उसके साथ दर्द होता है, सर्दी-खाँसी में आँखों के ऊपर दर्द हो जो सर को खुला रखने पर घटता है और सुबह जागते ही रोगी को चक्कर आते है. बाल झड़ने की समस्या के लिए भी यह दवा असरदार होती है, रोगी के बाल समय से पहले ही पक कर झड जाते है और वह गंजा हो जाता है.
आँखों के लक्षण – रोगी को रतौंधी होना इस दवा का प्रमुख लक्षण है, रोगी की आँखे रात को सोते समय आधी खुली रहती है, रोगी केवल आधा भाग ही दिखाई देता है, आँखों के पपोटे लाल और उनमें घाव होने पर लाइकोपोडियम का उपयोग करना लाभकारी होता है.
कान के लक्षण – रोगी के कान से गाढ़ा, पीला, और दुर्गंधित स्त्राव निकलता है, रोगी के कानो के आस पास और उनके पीछे एग्जिमा होता है, रोगी को कानो में भिनभिनाहट और गर्ज की आवाज सुनाई देती है इसके साथ ही रोगी को ऊँचा सुनाई देता है.
नाक के लक्षण – रोगी की नाक की सूंघने की शक्ति बढ़ जाती है, नाक के पिछले भाग में खुश्की होती है, अगले भाग से कम तीक्षण स्त्राव निकलता है रोगी के नथने घायल रहते है, रोगी की नाक बंद हो जाती है मुहं से आवाज ना निकलने पर नाक से बोलता है, रोगी के नथने पंखे की तरह बार-बार हिलते है, अगर इस प्रकार के लक्षण नाक में दिखाई दे रहे है तो लाइकोपोडियम 30 का उपयोग करने से लाभ मिलता है.
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चहरे के लक्षण – रोगी का चेहरा मटियाला और पीला सा हो जाता है, आँखों के आसपास नीला घेरा होता है, रोगी का चेहरा झुर्रियों वाला और मुरझाया हो जाता है, चहरे पर ताम्बे के रंग के दाने निकल आते है टायफायड में रोगी का निचला जबड़ा लटक जाता है, इस प्रकार के लक्षण चहरे पर दिखाई देते है तो लाइकोपोडियम 30 का प्रयोग करना फायदेमंद होता है.
मुहं के लक्षण – रोगी जब अपने दांतों को छूता है तो बहुत अधिक दर्द होता है, दांतों में दर्द होने पर रोगी के गाल फूल जाते है , रोगी को प्यास का आभाव होता है और मुहँ तथा जबान खुश्क, जीभ सूखी हुई और उसका रंग काला सा हो जाता है जीभ के छाले आदि के लिए यह दवा उपयोगी साबित होगी.
गले के लक्षण – रोगी का गला प्यास के बिना खुश्क हो जाता है, गले में दर्द होता है और जब रोगी कुछ भी खाता या निगलता है तो गले में सुई चुभने जैसा दर्द होता है, रोगी जब कुछ गरम खाता है तो उसको आराम मिलता है. टोंसिल फूल जाते है और उनमें पीप आ जाती है, टोंसिल में घाव हो जाते है जो मुख्य रूप से दायीं ओर से शुरू होते है, कंठनाली का टी.बी. जिसमें घाव आना शुरू हो गया हो इस प्रकार के गले के सभी लक्षणों में उपयोग की जाती है.
आमाशय के लक्षण – रोगी कुछ भी खाता है तो उसको वह खट्टा लगता है और साथ ही खट्टे डकार आते है, रोगी की पाचन शक्ति कमजोर हो जाती है, रोगी जब खाना खाता है तो आमाशय में दबाब सा लगता है और मुहँ का स्वाद कड़वा हो जाता है.
रोगी को ज़रा सा खाते ही अफरा आ जाता है, रोगी रात को भूख लगने के कारण अचानक जाग जाता है, रोगी को अधूरी जलन वाली डाकार आती है जो सिर्फ गले तक ही आती है और वहां घंटो तक जलन होती रहती है. रोगी के कष्ट रात को और अधिक बढ़ जाते हो तो इस प्रकार के आमाशय के सभी लक्षणों के लिए लाइकोपोडियम 30 उपयोगी होती है.
पेट के लक्षण – रोगी को पेट में हर समय उफान उठता-सा प्रतीत होता है, विशेष रूप से बायीं ओर ऊपर के भाग में, यह दवा दायीं ओर के हर्निया में भी उपयोगी है, रोगी के पेट में ऐसा दर्द होता है जो दायें से बाएं जाता है इस प्रकार के सभी पेट संबंधी लक्षणों के लिए लाइकोपोडियम 30 उपयोग में लायी जाती है.
पखाना के लक्षण – रोगी को पतले दस्त आते है, उसकी आंते अक्रिय हो जाती है और मल त्याग करते समय मल के छोटे-छोटे टुकड़े बड़ी मुश्किल से निकलते है, बबासीर के मस्से जिनको ज़रा सा छूते ही दर्द होने लगता है इसके अलावा लाइकोपोडियम 30 खूनी बबासीर के इलाज में उपयोगी होती है.
पेशाब से सम्बंधित लक्षण – रोगी को पेशाब करने से पहले कमर में दर्द होता है, और जब वह पेशाब करता है तो दर्द बंद हो जाता है, रोगी को पेशाब देर से आता है और पेशाब करने के लिए जोर लगाना पड़ता है. पुरुष रोगी को नपुंसकता और शीघ्र पतन की शिकायत होने पर लाइकोपोडियम 30 का उपयोग करने पर रोगी को लाभ मिलता है.
स्त्री जननेंद्रिय लक्षण – महिला को मासिक देर से आता है और लम्बे समय तक रहता है, मल त्याग के समय महिला के गुप्तांग से खून गिरने पर लाइकोपोडियम दवा का उपयोग लाभदायक होता है.
Lycopodium 30 Uses in Hindi for Children – बच्चों के लिए लाइकोपोडियम 30 का उपयोग
श्वास-प्रणाली के लक्षण – रोगी को सरसराहट के साथ खाँसी आती है, छाती में में सुकड़ाव, घुटन और जलन के साथ दर्द होता है, खोखली खाँसी जो अंदर गहराई से आती है, रोगी को गाढ़ा, रक्त मिला हुआ, पीप युक्त कफ आता है. बच्चे की छाती का नजला, छाती से घडघड़ाहट की आवाज़ आती है जैसे उसमें कफ भरा हुआ है, नाक जल्दी जल्दी फैलती है और छाती में घडघड़ाहट हो इस प्रकार के सभी लक्षणों में लाइकोपोडियम उपयोगी होती है.
हाथ-पावं के लक्षण – रोगी के अंगो में चीरने-फाड़ने की तरह का दर्द होता है, विशेष रूप से आराम करते समय या रात के समय यह दर्द और अधिक बढ़ जाता है, बाजुओं में भारीपन महसूस होता है, रोगी के कंधे और कोहनी में चीरने-फाड़ने की तरह का दर्द होता है, रोगी का एक पैर गर्म लगता है तो दूसरा सर्द लगता है, चलते समय एड़ी में दर्द होता है, हाथ पैर की उँगलियाँ सुकड़ी हुई जिस तरफ दर्द होता है उस तरफ से लेट नहीं पाता, रात को जब सो जाए तो पैर की उंगलियों और पिडली में ऐठन आती हो तो इस प्रकार के सभी लक्षणों के लिए लाइकोपोडियम का उपयोग किया जा सकता है.
Lycopodium 30 Uses in Hindi for Skin – त्वचा के लिए लाइकोपोडियम 30 का उपयोग
त्वचा के लक्षण – रोगी की त्वचा में घाव बन जाते है, ऐसा शीत-पित जो गर्मी से बढ़ता है, रोगी को पुराना एग्जिमा हो जिसके साथ उसको पेशाब, हाजमे और जिगर की खराबियां होती है. रोगी त्वचा मोटी और कड़ी हो जाती है, त्वचा पर भूरे दाग उभर आते है जो मुख्य रूप से चहरे और नाक की बायीं ओर होते है, रोगी के हाथ की हथेलियाँ सूखी सुकड़ी हुई हो जाती है, इस प्रकार के सभी लक्षणों के लाइकोपोडियम का उपयोग करने से त्वचा रोगों में आराम आता है.
रोग में वृद्धि – लाइकोपोडियम के रोगी का रोग दोपहर 4 बजे से रात 8 बजे तक अधिक बढ़ता है, कष्ट दायीं ओर से शुरू होता है इसके अलावा गर्मी से रोगी को तकलीफ और अधिक बढ़ जाती है, शरीर पर पेट और गले को छोड़ कर अन्य किसी भी भाग पर सिकाई करने भी रोग में वृद्धि होती है.
रोग में कमी या आराम – रोगी को हरक़त करने से आराम मिलता है इसके अलावा आधी रात के बाद रोगी का कष्ट कम हो जाता है.
लाइकोपोडियम 30 दवा का डॉज – Lycopodium 30 Liquid Dosage
इस दवा निम्नतर और उच्तम शक्ति अच्छा असर करती है, किसी को मल ना आने की समस्या हो तो लाइकोपोडियम 3X शक्ति की कुछ बूंदे दिन में 3 बार देने से लाभ मिलता है, लाइकोपोडियम 30 का भी उपयोग किया जा सकता है मगर जल्दी-जल्दी ना दे.
Lycopodium 30 की खुराक और इस्तेमाल करने का तरीका – Lycopodium 30 Dosage & How to Take in Hindi
होम्योपैथिक चिकित्सा पद्धिति को उपचार की एक सुरखित चिकित्सा पद्धिति माना जाता है और किसी भी रोग का उपचार करने पर यह दवाएं रोग को जड़ से समाप्त कर देती हैं |
होम्योपैथिक दवाओं का असर धीमा होता है मगर यह रोग को जड़ से ख़त्म भी करता है जबकि इसके विपरीत एलोपेथिक चिकित्सा पद्धिति में दवाओं का असर तो जल्दी होता है मगर यह रोग को जड़ से समाप्त करने में कारगर नहीं होती है |
Lycopodium 30 की खुराक और इस्तेमाल जब भी आप कर रहे है तो आपको कुछ बातों का ध्यान रखना जरुरी होता है –
- Lycopodium 30 का उपयोग करते समय इनको ठंडी और अँधेरी जगह पर रखना आवश्यक है |
- Lycopodium 30 की खुराक लेते समय हाथों से छूना ठीक नहीं होता है इस से दवा के लाभ मिल नहीं पाते है |
- अगर आप Lycopodium 30 दवा की खुराक ले रहे है तो आपको कांच के ग्लास में लेना चाहिए
Lycopodium 30 से सम्बंधित चेतावनी – Lycopodium 30 Related Warnings in Hindi
होम्योपैथिक दवा Lycopodium 30 को अपने घर में सावधानी से रखना चाहिए क्योंकि अधिक धूप में या अधिक तापमान वाली जगह पर रखने से होम्योपैथिक दवा ख़राब हो जाती है |
जब भी Lycopodium 30 होम्योपैथिक दवा का डोज ले रहे है तो ध्यान रखें की दवा का डोज ऑवेरलेप ना हो अगर ऐसा होता है तो दवा का लाभी नहीं मिल पाता है |
सामान्य तौर पर तो होम्योपैथिक दवा Lycopodium 30 का किसी प्रकार का कोई हानिकारक प्रभाव नहीं है मगर फिर भी स्तनपान कराने वाली महिलाओं को यह दवा बिना डॉक्टर की सलाह के नहीं लेना चाहिए
- गर्भवती महिलाओं के लिए यह दवा सुरक्षित है इसका कोई हानिकारक प्रभाव देखने को नहीं मिलता है |
- अगर कोई रोगी किडनी के रोग से ग्रसित है और वह इस दवा का उपयोग करता है तो का कोई दुष्प्रभाव नहीं होगा यह सुरखित है |
- गर्भवती महिलाओं के लिए यह दवा सुरक्षित है इसका कोई हानिकारक प्रभाव देखने को नहीं मिलता है |
- अगर कोई रोगी किडनी के रोग से ग्रसित है और वह इस दवा का उपयोग करता है तो का कोई दुष्प्रभाव नहीं होगा यह सुरखित है |
होम्योपैथिक दवाओं का उपोग करते समय सावधानी – Caution While Using Homeopathic Medicines :
अगर आप होम्योपैथिक उपचार लेते हैं तो आपको डॉक्टर द्वारा बताये गए सभी प्रकार के नियमों का पालन करना चाहिए, अगर आप ऐसा नहीं करते है तो आपको इन दवाओं का लाभ नहीं मिलता है |
दवा खाते समय हाथ में ना लेते हुए उसको खांच के ग्लास या किसी भी कांच के बर्तन का उपयोग कर सकते है |
अगर दवा को डॉक्टर ने तरल रूप में दिया है तो उसको उसी प्रकार लेने से ही लाभ मिलता है |
Lycopodium 30 और एलोपथिक दवाओं में अंतर – Difference Between Lycopodium 30 And Allopathic Medicines :
अगर आप किसी भी रोग के उपचार के लिए होम्योपैथिक और एलोपथिक दोनों दवाओं में से किसी एक को चुनते है तो आपको कुछ आवश्यक बातों का ध्यान रखना जरुरी है –
- इस दवा का उपयोग करके आप रोग को जड़ से ख़त्म कर सकते है, जबकि एलोपथिक दवा से किसी रोग का जड़ से इलाज कुछ रोगों में ही हो पाता है |
- एलोपथिक दवाओं का लम्बे समय तक उपयोग करने से कई प्रकार के शारीरिक दुष्प्रभाव देखने को मिलते है मगर होम्योपैथिक दवाओं का दुष्प्रभाव बहुत ही कम देखने को मिलता है |
- होम्योपैथिक दवाओं का सेवन बहुत ही आसान है और बच्चों से ले कर बूढों तक कोई भी इन दवाओं को आराम से खा सकता है |
- बच्चों के लिए इन दवाओं का सेवन करना बहुत ही लाभकारी होता और बच्चे इन दवाओं को खाने में किसी भी प्रकार की समस्या नहीं करते है उसका कारण है की यह दवाएँ मीठी गोलियों के रूप में दी जाती है |
- एलोपथिक दवाएं अधिकतर स्वाद में कड़वी होती है इस कारण बच्चे इनको खाने में समस्या करते है और आसानी से इन दवाओं का सेवन नहीं करते है |
- होम्योपैथिक दवाएँ थोडा धीमा असर कारती है जबकि एलोपैथी की दवाएं थोडा जल्दी अपना असर दिखाती है |
- अगर आपको तुरंत राहत चाहिए तो आप एक सीमित समय के लिए एलोपकी दवाओं का उपयोग कर सकते है, मगर यह सिर्फ एक सीमित समय अवधि तक ही आराम दे सकती हैं |
- अगर आप रोग से हमेशा के लिए छुटकारा चाहते है तो आपके लिए होमियोपैथी की दवाओं का उपयोग लाभकारी होता है |