Phytolacca Berry Uses In Hindi : फाइटोलेक्का बेर्री 30 के उपयोग और सम्बंधित लक्षण और लाभ
अगर आप होम्योपैथिक दवाओं का अध्ययन कर रहे हैं तो आपने कभी न कभी Phytolacca Berry Uses in Hindi को Search किया होगा आज के इस लेख में आपको Phytolacca Berry के उपयोग से सम्बंधित सम्पूर्ण जानकारी दी जायेगी
Phytolacca Berry के प्रमुख लक्षणों में रोगी के पूरे शरीर में हल्का-हल्का दर्द हो तथा इसके साथ ही बेचैनी हो तो ऐसे लक्षणों को दूर करने के लिए फाइटोलेक्का बेर्री का उपयोग लाभदायक होता है जिसके फलस्वरूप इस प्रकार के लक्षण ठीक हो जाते हैं। इस होम्योपैथिक मेडिसिन का प्रभाव अधिकतर ग्रन्थियों पर पड़ता है।
ग्रन्थियों में सूजन होने तथा इसके साथ ही गर्माहट महसूस होने कि स्थिति में इसका प्रभाव लाभदायक होता है। हडि्डयों के ऊतकों, प्रावरणियों तथा पेशी आवारणों पर इस होम्योपैथिक मेडिसिन की शक्तिशाली क्रिया होती है।
शरीर के कई हडि्डयों में दर्द होना, हडि्डयों के जोड़ों पर दर्द होना, गले में जलन होना, पूयजनक, तालुओं में जलन और डिफ्थीरिया, शरीर का धनुष के आकार में अकड़न जाना, शरीर का वजन कम होना, बच्चों को दांत निकलने के समय परेशानी होना। इस प्रकार के लक्षणों से पीड़ित रोगी के रोग के लक्षणों को ठीक करने के लिए फाइटोलेक्का बेर्री का उपयोग करना चाहिए जिसके फलस्वरूप इस प्रकार के लक्षण ठीक हो जाते हैं।
Phytolacca Berry Uses In Hindi : विभिन्न लक्षणों में फाइटोलेक्का बेर्री का उपयोग –
Phytolacca Berry Uses In Hindi के लिए मन से सम्बन्धित लक्षण :- चारों ओर की चीजों के प्रति त्यागने की भावना होती है और व्यक्तिगत स्पर्धाओं में हिस्सा लेने का मन नहीं करता है। जीवन में उदासीपन हो जाता है और जीने की इच्छा नहीं होती है। इस प्रकार के लक्षणों से पीड़ित रोगी के रोग के लक्षणों को ठीक करने के लिए फाइटोलेक्का बेर्री का उपयोग करना चाहिए।
Phytolacca Berry Uses In Hindi के लिए सिर से सम्बन्धित लक्षण :- रोगी को चक्कर आने लगता है और सिर पर घाव हो जाता है और इसके साथ ही दर्द होता है। माथे के पीछे के भाग में दर्द होता है। कनपटियों में व आंखों के ऊपर दर्द होता है, खोपड़ी के हडि्डयों के जोड़ों में दर्द होता है व हर बार वर्षा होने पर दर्द होने लगता है। खोपड़ी पर पपड़ीदार घाव हो जाता है। इस प्रकार के लक्षणों से पीड़ित रोगी के रोग लक्षणों को ठीक करने के लिए फाइटोलेक्का बेर्री का उपयोग करना फायदेमन्द होता है।
Phytolacca Berry Uses In Hindi के लिए आंखों से सम्बन्धित लक्षण :- आंखों के आस-पास की त्वचा पर चिड़चिड़ापन महसूस होता है तथा पलकों के नीचे रेत होने जैसी अनुभूति होती है और पलकों के किनारे गर्म महसूस होते हैं, अश्रुग्रन्थि का नालव्रण हो जाता है तथा अधिक मात्रा में आंसू बहने लगता है। इस प्रकार के लक्षणों से पीड़ित रोगी के रोग के लक्षणों को ठीक करने के लिए फाइटोलेक्का बेर्री का उपयोग करना लाभदायक होता है।
Phytolacca Berry Uses In Hindi : फाइटोलेक्का बेर्री के उपयोग और लाभ
Phytolacca Berry Uses In Hindi के लिए नाक से सम्बन्धित लक्षण :- नाक के अन्दर से अधिक मात्रा में पानी जैसा पदार्थ बहता रहता है और सर्दी तथा जुकाम हो जाता है और एक नथुने और पश्चनासारन्ध्रों से श्लैष्मिक स्राव होता है। इस प्रकार के लक्षणों से पीड़ित रोगी के रोग के लक्षणों को ठीक करने के लिए फाइटोलेक्का बेर्री का उपयोग करना उचित होता है।
Phytolacca Berry Uses In Hindi के लिए मुंह से सम्बन्धित लक्षण :- बच्चों के दांत निकलते समय दांत पीसने की इच्छा होती है, दांत अपने आप में भिंच जाते हैं, निचला होंठ नीचे की ओर खिंचा हुआ रहता है तथा होंठ बाहर की ओर मुड़े हुए रहते हैं, जबड़ें आपस में जोरों से सटे हुए रहते हैं, ठोढ़ी नीचे की ओर उरोस्थि तक खिंची हुई रहती है। जीभ की नोक लाल, खुरदरी और झुलसी हुई प्रतीत होती है, मुंह से खून बहने लगता है और मुंह के किनारों पर फफोलें पड़ जाते हैं तो इस प्रकार के लक्षणों के लिए Phytolacca Berry का उपयोग कर सकते हैं |
इसके आलावा अगर जीभ पर नक्शे जैसी आकृति तथा दांत के चिंह पड़ जाते हैं तथा जीभ पर दरारयुक्त निशान भी होते हैं तथा इसके साथ ही बीच में नीचे की ओर पीला धब्बा पड़ा रहता हैं और लार अत्यन्त चिपचिपी होती है। इस प्रकार के मुंह से सम्बन्धित लक्षणों में से यदि कोई भी लक्षण किसी व्यक्ति को हो गया है तो उसके रोग के लक्षणों को ठीक करने के लिए फाइटोलेक्का बेर्री का उपयोग करना चाहिए।
Phytolacca Berry Uses In Hindi के लिए गले से सम्बन्धित लक्षण :- गले पर गहरे लाल या नीले-लाल धब्बे पड़ जाते हैं तथा जीभ की जड़ में तेज दर्द होता है और उसकी तालु और तालुमूल ग्रन्थियां सूजी हुई रहती हैं। गले में गोला होने जैसी चीजों की अनुभूति होती है। गले में खराश महसूस होता है। तालुमूल ग्रन्थियां सूजी हुई रहती है, विशेषकर दाईं ओर की ग्रन्थि, इस पर काली-लाल आकृतियां भी बन जाती है। निगलने पर कानों में गोली लगने जैसा दर्द होता है। गले की झिल्लियों में सफेद भूरा, गाढ़ा, लसीला, पीला कफ जमा रहता है जिसे छुड़ाना मुश्किल होता है तो आप Phytolacca Berry का उपयोग कर सकते हैं |
कोई भी गरम-गरम चीज निगलने में कठिनाई होती है। कर्णमूल ग्रन्थि में तनाव होता है तथा इसके साथ ही दबाव महसूस होता है। रोहिणी रोग हो जाता है तथा गले में जलन भी होती है और उसमें पीब बनने लगता है। डिफ्थीरिया रोग हो जाता है तथा इसके साथ ही गले में जलन होती है, जीभ की जड़ में दर्द होता है जिसका असर कान तक होता है।
रोगी के गले की टांसिल सूज जाती है और इन पर सफेद दाग पड़ जाते हैं जो कभी-कभी आपस में मिलकर घाव बन जाते हैं और उनकी पीड़ा कानों तक होती है, रोगी को ऐसा महसूस होता है कि गले में कफ का ढेला अटका हुआ है जिसे हटाने के लिए रोगी को बार-बार निगलने की क्रिया करनी पड़ती है। गले की टांसिल बढ़ जाती है तथा उस स्थान पर सूजन भी आ जाती है, तो इस प्रकार के लक्षणों के लिए Phytolacca Berry का उपयोग लाभदायक होगा
तालुमूलग्रन्थियों में जलन होती है, तालुमूल ग्रन्थियां व गलतोरणिका में सूजन आ जाती है तथा इसके साथ ही गले में जलन होती है और दर्द होता है। रोगी को इतना तेज दर्द होता है कि वह पानी को भी नहीं निगल पाता है। इस प्रकार के गले से सम्बन्धित लक्षणों में से यदि कोई भी लक्षण किसी व्यक्ति को हो गया है तो उसके रोग के लक्षणों को ठीक करने के लिए फाइटोलेक्का बेर्री का उपयोग करना फायदेमन्द होता है।
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Phytolacca Berry Homeopathic Medicine Uses In Hindi : फाइटोलेक्का बेर्री होम्योपैथिक मेडिसिन के उपयोग और लाभ
Phytolacca Berry Uses In Hindi के लिए पेट से सम्बन्धित लक्षण :- दायें अध:पर्शुक प्रदेश में दर्द होता है तथा उस स्थान पर धब्बा पड़ जाता है, पेट के पेशियों के जोड़ों में दर्द होता है, नाभि के पास दर्द होता है, नाभि पर जलन होने के साथ ही ऐंठन भी होती है। पाचनतन्त्र व पेट में कुचलने जैसा दर्द महसूस होता है। वृद्ध व्यक्तियों का हृदय कमजोर हो जाता है तथा इसके साथ ही उन्हें कब्ज की शिकायत भी होती है। मलांत्र से खून बहने लगता है। इस प्रकार के लक्षणों से पीड़ित रोगी के रोग के लक्षणों को ठीक करने के लिए फाइटोलेक्का बेर्री होम्योपैथिक मेडिसिन का उपयोग करना लाभदायक होता है।
Phytolacca Berry Uses In Hindi के लिए मूत्र से सम्बन्धित लक्षण :- पेशाब बहुत ही कम मात्रा में होता है तथा इसके साथ ही पेशाब करने में रुकावट होती है। इसके साथ ही गुर्दे के भाग में दर्द होता है। गुर्दे में जलन होती है। पेशाब में खड़िया जैसा चूना आता है तथा अण्डे की सफेदी जैसा पदार्थ आता है। इस प्रकार के लक्षणों से पीड़ित रोगी के रोग के लक्षणों को ठीक करने के लिए Phytolacca Berry Homeopathic Medicine का उपयोग करना उचित होता है।
Phytolacca Berry Uses In Hindi के लिए स्त्री रोग से सम्बन्धित लक्षण :- स्तन में जलन होती है तथा स्तन कठोर हो जाता है और इसमें अहसहनीय दर्द होता है। स्तन में घाव हो जाता है तथा इसके साथ ही कक्षा ग्रन्थियां बढ़ जाती हैं। स्तन में कैंसर हो जाता है। स्तन कठोर, दर्दयुक्त तथा बैंगनी रंग की हो जाती है। स्तन में फोड़ा होना। दायें डिम्बाशय के नाड़ियों में दर्द होना। मासिकस्राव अधिक मात्रा में होना और बार-बार होना। चूचक के आस-पास दरारें पड़ जाती है और छोटे-छोटे घाव हो जाते हैं। स्तन में जलन होती है तथा मासिकधर्म के समय में और उसके पहले के समय में दर्द होता है। स्तन से अधिक मात्रा में दूध का स्राव होता है तथा स्तन में दर्द भी होता रहता है। जब बच्चा दूध पीता है तो चूचक में दर्द होता है और दर्द का असर सारे शरीर में फैल जाता है। इस प्रकार के स्त्री रोग से सम्बन्धित लक्षणों में से यदि कोई भी लक्षण किसी व्यक्ति को हो गया है तो उसके रोग के लक्षणों को ठीक करने के लिए फाइटोलेक्का बेर्री होम्योपैथिक मेडिसिन का उपयोग करना चाहिए।
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Phytolacca Berry Tablets Uses In Hindi : फाइटोलेक्का बेर्री टेबलेट के उपयोग और लाभ
Phytolacca Berry Uses In Hindi के लिए पुरुष रोग से सम्बन्धित लक्षण :- अण्डकोषों में दर्द होता है तथा इसके साथ ही अण्डकोष कठोर हो जाता है, मूलाधार से लेकर लिंग तक गोली लगने जैसा दर्द होता है। इस प्रकार के पुरुष रोग से सम्बन्धित लक्षणों से पीड़ित रोगी के रोग के लक्षणों को ठीक करने के लिए फाइटोलेक्का बेर्री टेबलेट्स का उपयोग करना फायदेमन्द होता है।
Phytolacca Berry Uses In Hindi के लिए हृदय से सम्बन्धित लक्षण :- रोगी को ऐसा महसूस होता है कि जैसे हृत्पिंड गले में उछल आया हो। हृदय के भाग में दर्द होता है तथा इसके साथ ही दायें बाजू में भी दर्द होता है। इस प्रकार के हृदय से सम्बन्धित लक्षणों से पीड़ित रोगी के रोग के लक्षणों को ठीक करने के लिए फाइटोलेक्का बेर्री टेबलेट्स का उपयोग करना लाभदायक होता है।
Phytolacca Berry Uses In Hindi के लिए श्वसन संस्थान से सम्बन्धित लक्षण :- रोगी का गला बैठ जाता है तथा वह कुछ भी बोलने में असमर्थ हो जाता है। श्वास लेने में परेशानी होती है तथा सूखी और परेशान करने वाली, कुटकुटीदार खांसी हो जाती है, यह खांसी रात के समय में अधिक होती है। छाती के मध्य भाग अर्थात उरोस्थि भाग में हल्का-हल्का दर्द होता है और इसके साथ ही खांसी भी होती है। निचली मध्यपंजर पेशियों की हडि्डयों के जोड़ों में दर्द होता है। इस प्रकार के श्वास संस्थान सम्बन्धित लक्षणों से पीड़ित रोगी के रोग के लक्षणों को ठीक करने के लिए फाइटोलेक्का बेर्री टेबलेट का उपयोग करना उचित होता है।
Phytolacca Berry 30 Uses In Hindi : फाइटोलेक्का बेर्री 30 के उपयोग और लाभ
Phytolacca Berry Uses In Hindi के लिए पीठ से सम्बन्धित लक्षण :- रोगी के कमर पर हल्का-हल्का दर्द होता है, दर्द ऊपर की ओर उठता हुआ और नीचे की त्रिकास्थि प्रदेश तक चाला जाता है। गुर्दे के भाग में कमजोरी महसूस होती है और हल्का-हल्का दर्द होता है। पीठ अकड़ी हुई विशेषकर सुबह के समय में उठने पर और भीगी वातावरण में दर्द होता है। इस प्रकार के पीठ से सम्बन्धित लक्षणों से पीड़ित रोगी के रोग के लक्षणों को ठीक करने के लिए फाइटोलेक्का बेर्री 30 का उपयोग करना चाहिए।
Phytolacca Berry Uses In Hindi के लिए शरीर के बाहरी अंगों से सम्बन्धित लक्षण :- दाएं कंधों में गोली लगने जैसा दर्द होता है तथा इसके साथ ही अकड़न और बांह को ऊपर उठाने में रोगी असमर्थ रहता है। जोड़ों पर दर्द होता है तथा सुबह के समय में अधिक दर्द होता है। दर्द बिजली के झटकों के समान उड़ान भरते हुए होता हैं। गोली लगने जैसा दर्द होता है। दर्द अपना स्थान बदलता है। जांघों के भीतरी अंशों की ओर दर्द होता है। एड़ियों में दर्द होता है, पैरों को जब ऊपर उठाते हैं तो रोगी को राहत मिलती है। झटके लगने जैसा दर्द होता है। तो फाइटोलेक्का बेर्री 30 का उपयोग करना चाहिए।
इसके आलावा अगर टांगों में दर्द होता है, रोगी अपने पैरों को ऊपर उठाने से डरता है। पैर सूजे हुए, टखनों व पैरों में दर्द होता है। पैर की उंगलियों में दर्द होता है। रोगी के सारे शरीर में दर्द होता है और कुचलने जैसा दर्द होता है, रोगी कराहता रहता है और रोगी जब हाथ-पैरों को चलाता है तो उसके रोग के लक्षणों में वृद्धि होती है। इस प्रकार के शरीर के बाहरी अंगों से सम्बन्धित लक्षण में से यदि कोई भी लक्षण किसी व्यक्ति को हो गया है तो उसके रोग के लक्षणों को ठीक करने के लिए फाइटोलेक्का बेर्री 30 का उपयोग करना फायदेमन्द होता है।
Phytolacca Berry 200 Uses In Hindi : फाइटोलेक्का बेर्री 200 के उपयोग और लाभ
Phytolacca Berry Uses In Hindi के लिए चर्म रोग से सम्बन्धित लक्षण :- रोगी की त्वचा पर खुजली होती है जिसके कारण रोगी खुजलाता रहता है। रोगी की त्वचा सूख जाती है तथा सिकुड़ जाती है और फीका हो जाता है। त्वचा पर फुंसियां हो जाती है। फोड़ा हो जाता है तथा यह ठीक होकर पपड़ियों के रूप में उतरने लगती है तो इन लक्षणों के आधार पर फाइटोलेक्का बेर्री 200 का उपयोग करना लाभदायक होता है |
इसके आलावा ग्रन्थियों की सूजन और कठोरता। आरक्त-ज्वर जैसा घाव होना। मस्सें और तिल होना। इस प्रकार के चर्म रोग से सम्बन्धित लक्षणों में से यदि कोई भी लक्षण किसी व्यक्ति को हो गया है तो उसके रोग के लक्षणों को ठीक करने के लिए फाइटोलेक्का बेर्री 200 का उपयोग करना चाहिए। चर्म रोग से सम्बन्धित रोग की प्रारम्भिक अवस्थाओं में यह होम्योपैथिक मेडिसिन सर्वाधिक उपयोगी है।
Phytolacca Berry Q Uses In Hindi : फाइटोलेक्का बेर्री क्यू के उपयोग और लाभ
Phytolacca Berry Uses In Hindi के लिए गठिया वाय से सम्बन्धित लक्षण :- सूजाक दोष के कारण उत्पन्न गठिया वात रोग जिसमें गाठें सूजी हुई रहती है तथा दर्द भी होता रहता है, जोड़ों पर सुर्खी आ जाती है और सूजन हो जाती है, पारे के दुरुपयोग और आतशक से टांग की लम्बी हडि्डयों की झिल्ली में सूजन और दर्द होता है, नम मौसम में या रात के समय में रोग के लक्षणों में वृद्धि होती है। इस प्रकार के लक्षणों को ठीक करने के लिए फाइटोलेक्का बेर्री क्यू होम्योपैथिक मेडिसिन का उपयोग करना चाहिए।
Phytolacca Berry Mother Tincture Uses In Hindi : फाइटोलेक्का बेर्री मदर टिंचर के उपयोग और लाभ
Phytolacca Berry Uses In Hindi के लिए हैजा से सम्बन्धित लक्षण :- बच्चों को हैजे की बीमारी होने पर बच्चा अपने मसूढ़े को काटता रहता है और सामने जो कुछ पाता है, पकड़कर मुंह में ले लेता है और काटता है। बच्चे के दांत निकलते समय यह लक्षण अक्सर पाया जाता है, दांत निकलते समय दस्त या और किसी रोग के साथ यह लक्षण होना। इस प्रकार के लक्षणों से पीड़ित बच्चें के रोग के लक्षणों को ठीक करने के लिए फाइटोलेक्का बेर्री मदर टिंचर का उपयोग करना चाहिए।
Phytolacca Berry Uses In Hindi के लिए वृद्धि (ऐगग्रेवेशन) :- वैद्युतिक परिवर्तनों के प्रति असहिष्णु, भीगने से, जब वर्षा होती है तब, नमी वातावरण में रहने से, ठण्डी वातावरण में, रात के समय में, ठण्डी हवा लगने से, गति करने से और दाएं भाग में रोग के लक्षणों में वृद्धि होती है।
Phytolacca Berry Uses In Hindi के लिए शमन (एमेलिओरेशन) :- गर्मी, खुश्क मौसम, आराम करने से रोग के लक्षण नष्ट होने लगते हैं।
Phytolacca Berry Uses In Hindi के लिए सम्बन्ध (रिलेशन) :- रस-टा, काली-हाइड्रा, मर्क्यू, सैग्वी, एरम-ट्रिफा तथा ब्रायों होम्योपैथिक मेडिसिन यों के कुछ गुणों की तुलना फाइटोलेक्का होम्योपैथिक मेडिसिन से करते हैं।
प्रतिकूल :- मर्क्यू।
Phytolacca Berry Uses In Hindi के लिए प्रतिविष :- दूध और नमक, बेला, मेजीरि होम्योपैथिक मेडिसिन का उपयोग फाइटोलेक्का होम्योपैथिक मेडिसिन के दोषों को दूर करने के लिए किया जाता है।
अनुपूरक :- साइ।
Phytolacca Berry Uses In Hindi के लिए मात्रा (डोज) :- फाइटोलेक्का होम्योपैथिक मेडिसिन की मूलार्क से 3 शक्ति का प्रयोग रोग के लक्षणों को ठीक करने के लिए करना चाहिए। स्तन में जलन होने पर इस होम्योपैथिक मेडिसिन का बाहरी प्रयोग करना चाहिए।
Phytolacca Berry की खुराक और इस्तेमाल करने का तरीका – Phytolacca Berry Dosage & How to Take in Hindi
होम्योपैथिक चिकित्सा पद्धिति को उपचार की एक सुरखित चिकित्सा पद्धिति माना जाता है और किसी भी रोग का उपचार करने पर यह दवाएं रोग को जड़ से समाप्त कर देती हैं |
होम्योपैथिक दवाओं का असर धीमा होता है मगर यह रोग को जड़ से ख़त्म भी करता है जबकि इसके विपरीत एलोपेथिक चिकित्सा पद्धिति में दवाओं का असर तो जल्दी होता है मगर यह रोग को जड़ से समाप्त करने में कारगर नहीं होती है |
Phytolacca Berry की खुराक और इस्तेमाल जब भी आप कर रहे है तो आपको कुछ बातों का ध्यान रखना जरुरी होता है –
- Phytolacca Berry का उपयोग करते समय इनको ठंडी और अँधेरी जगह पर रखना आवश्यक है |
- Phytolacca Berry की खुराक लेते समय हाथों से छूना ठीक नहीं होता है इस से दवा के लाभ मिल नहीं पाते है |
- अगर आप Phytolacca Berry दवा की खुराक ले रहे है तो आपको कांच के ग्लास में लेना चाहिए
Phytolacca Berry से सम्बंधित चेतावनी – Phytolacca Berry Related Warnings in Hindi
होम्योपैथिक दवा Phytolacca Berry को अपने घर में सावधानी से रखना चाहिए क्योंकि अधिक धूप में या अधिक तापमान वाली जगह पर रखने से होम्योपैथिक दवा ख़राब हो जाती है |
जब भी Phytolacca Berry होम्योपैथिक दवा का डोज ले रहे है तो ध्यान रखें की दवा का डोज ऑवेरलेप ना हो अगर ऐसा होता है तो दवा का लाभी नहीं मिल पाता है |
सामान्य तौर पर तो होम्योपैथिक दवा Phytolacca Berry का किसी प्रकार का कोई हानिकारक प्रभाव नहीं है मगर फिर भी स्तनपान कराने वाली महिलाओं को यह दवा बिना डॉक्टर की सलाह के नहीं लेना चाहिए
- गर्भवती महिलाओं के लिए यह दवा सुरक्षित है इसका कोई हानिकारक प्रभाव देखने को नहीं मिलता है |
- अगर कोई रोगी किडनी के रोग से ग्रसित है और वह इस दवा का उपयोग करता है तो का कोई दुष्प्रभाव नहीं होगा यह सुरखित है |
- गर्भवती महिलाओं के लिए यह दवा सुरक्षित है इसका कोई हानिकारक प्रभाव देखने को नहीं मिलता है |
- अगर कोई रोगी किडनी के रोग से ग्रसित है और वह इस दवा का उपयोग करता है तो का कोई दुष्प्रभाव नहीं होगा यह सुरखित है |
होम्योपैथिक दवाओं का उपोग करते समय सावधानी – Caution While Using Homeopathic Medicines :
अगर आप होम्योपैथिक उपचार लेते हैं तो आपको डॉक्टर द्वारा बताये गए सभी प्रकार के नियमों का पालन करना चाहिए, अगर आप ऐसा नहीं करते है तो आपको इन दवाओं का लाभ नहीं मिलता है |
दवा खाते समय हाथ में ना लेते हुए उसको खांच के ग्लास या किसी भी कांच के बर्तन का उपयोग कर सकते है |
अगर दवा को डॉक्टर ने तरल रूप में दिया है तो उसको उसी प्रकार लेने से ही लाभ मिलता है |
Phytolacca Berry और एलोपथिक दवाओं में अंतर – Difference Between Phytolacca Berry And Allopathic Medicines :
अगर आप किसी भी रोग के उपचार के लिए होम्योपैथिक और एलोपथिक दोनों दवाओं में से किसी एक को चुनते है तो आपको कुछ आवश्यक बातों का ध्यान रखना जरुरी है –
- इस दवा का उपयोग करके आप रोग को जड़ से ख़त्म कर सकते है, जबकि एलोपथिक दवा से किसी रोग का जड़ से इलाज कुछ रोगों में ही हो पाता है |
- एलोपथिक दवाओं का लम्बे समय तक उपयोग करने से कई प्रकार के शारीरिक दुष्प्रभाव देखने को मिलते है मगर होम्योपैथिक दवाओं का दुष्प्रभाव बहुत ही कम देखने को मिलता है |
- होम्योपैथिक दवाओं का सेवन बहुत ही आसान है और बच्चों से ले कर बूढों तक कोई भी इन दवाओं को आराम से खा सकता है |
- बच्चों के लिए इन दवाओं का सेवन करना बहुत ही लाभकारी होता और बच्चे इन दवाओं को खाने में किसी भी प्रकार की समस्या नहीं करते है उसका कारण है की यह दवाएँ मीठी गोलियों के रूप में दी जाती है |
- एलोपथिक दवाएं अधिकतर स्वाद में कड़वी होती है इस कारण बच्चे इनको खाने में समस्या करते है और आसानी से इन दवाओं का सेवन नहीं करते है |
- होम्योपैथिक दवाएँ थोडा धीमा असर कारती है जबकि एलोपैथी की दवाएं थोडा जल्दी अपना असर दिखाती है |
- अगर आपको तुरंत राहत चाहिए तो आप एक सीमित समय के लिए एलोपकी दवाओं का उपयोग कर सकते है, मगर यह सिर्फ एक सीमित समय अवधि तक ही आराम दे सकती हैं |
- अगर आप रोग से हमेशा के लिए छुटकारा चाहते है तो आपके लिए होमियोपैथी की दवाओं का उपयोग लाभकारी होता है |