Pulsatilla 30 Uses In Hindi | पल्सटिल्ला 30 का उपयोग,लाभ और लक्षण
Pulsatilla 30 Uses In Hindi : यह स्त्रियों के रोगों को ठीक करने के लिए बहुत ही उपयोगी औषधि है तथा इसका प्रभाव बहुत अधिक लाभदायक होता है। इसका उपयोग होम्योपैथिक चिकित्सा में बहुत अधिक होता है। स्त्रियों के रोगों के लक्षणों को दूर करने के लिए यह उपयोगी है, स्त्री रोगी की आंखें नीली होती हैं, स्वभाव में वह मृदुल होती है, जरा सी बात पर रो पड़ती है, उनमें करुणा अधिक होती है, सान्त्वना देने पर वह कराहने लगती है, अपनी बात बिना रोए बता नहीं पाती, इस प्रकार के लक्षणों से पीड़ित स्त्री के रोग के लक्षणों को दूर करने के लिए पल्सटिल्ला 30 होम्योपैथिक दवा का उपयोग करना चाहिए। यह बहुत से पुराने रोगों को भी ठीक करने में उपयोगी है।
कैमोमिला, कुनाइन, पारा, गंधक आदि के सेवन करने के बाद उत्पन्न दुष्परिणामों को दूर करने के लिए इस औषधि का उपयोग किया जा सकता है।
रोगी स्त्री जरा सी बात पर रो पड़ती है और बिना रोए अपने लक्षणों को बता नहीं पाती है, रोते-रोते ही अपने कष्टों को बताती है, रोगी स्त्री को जब देखो तभी आंसू निकलते रहते हैं, खुशी हो या गम लेकिन बात-बात में आंसू छलक पड़ता है, बात कैसी भी हो वह हर बात पर रोती है, जरा सी बात पर हंसना और जरा सी बात पर रोना, उसके सिर में दर्द होता रहता है, सिर पर पट्टी बांधने से दर्द ठीक हो जाता है। इस प्रकार के लक्षणों से पीड़ित रोगी स्त्री के रोग को ठीक करने के लिए पल्सटिल्ला 30 होम्योपैथिक दवा का प्रयोग करना चाहिए ।
Pulsatilla 30 Uses In Hindi – विभिन्न लक्षणों में पल्सटिल्ला 30 होम्योपैथिक दवा का उपयोग
पल्सटिल्ला 30 होम्योपैथिक दवा कई प्रकार के अलग-अलग लक्षणों का उपचार करने में बहुत ही अधिक उपयोगी है और यह होमियोपैथी में अपना एक महत्वपूर्ण स्थान रखती है, शरीर के सभी प्रकार के लक्षणों के आधार पर इसके उपयोग की जानकारी निम्नलिखित है –
पल्सटिल्ला 30 के लिए मन से सम्बन्धित लक्षण और उपयोग
रोगी स्त्री अपने आप ही रो पड़ती है और वह डरपोक स्वभाव की होती है, उसमें दृढ़-सकल्प की कमी होती है। शाम के समय में अकेले रहने पर, अंधरे से और भूतप्रेतों से वह भयभीत रहती है। वह सहानुभूति चाहती है। बच्चे स्वयं से प्यार करना, खिलाना, चुमकारना आदि पसन्द करते हैं। उत्साह में कमी होती है। पुरुष स्त्रियों से और स्त्रियां पुरुषो से अत्यधिक अस्वाभाविक रूप से भयभीत रहती हैं। रोगी अत्यन्त भावुक होता है। रोगी की मानसिक अवस्था ऐसी रहती है जैसे वह आनन्द के दिन में हो। इस प्रकार के लक्षणों में Pulsatilla 30 Uses In Hindi का उपयोग किया जाता है |
पल्सटिल्ला 30 के लिए सिर से सम्बन्धित लक्षण और उपयोग
सिर में दर्द होता है तथा दर्द का असर चेहरे और दांतों तक फैल जाता है, चक्कर आता रहता है, खुली हवा में आराम मिलता है और माथे और अक्षिकोटरों के ऊपर दर्द होता है, नाड़ियों में दर्द होता है, दर्द दाईं कनपटी के ऊपर से शुरू होता है। अत्यधिक परिश्रम करने से सिर में दर्द होता है। सिर के ऊपरी भाग पर दर्द होता है। इस प्रकार के लक्षणों से पीड़ित रोगी के रोग के लक्षणों को ठीक करने के लिए पल्सटिल्ला 30 होम्योपैथिक दवा का प्रयोग करना चाहिए। इस प्रकार के लक्षणों में Pulsatilla 30 Uses In Hindi का उपयोग किया जाता है |
पल्सटिल्ला 30 के लिए कान से सम्बन्धित लक्षण और उपयोग
रोगी को ऐसा महसूस होता है कि मानों कान के अन्दर से कुछ बाहर की ओर धकेला जा रहा हो, सुनने में परेशानी होती है और ऐसा लगता है जैसे कान बन्द हो गया हो। कान से पीब जैसा पदार्थ बहने लगता है तथा इस पीब से अधिक बदबू आती है। कान का बाहरी भाग लाल हो जाता है। सर्दी के मौसम में कान पर सूजन आ जाती है। कान में दर्द होता है तथा रात के समय में दर्द बढ़ने लगता है। सुनने की शक्ति कम हो जाती है। इस प्रकार के लक्षणों से पीड़ित रोगी के रोग के लक्षणों को ठीक करने के लिए पल्सटिल्ला 30 होम्योपैथिक दवा का प्रयोग करना फायदेमन्द होता है। इस प्रकार के लक्षणों में Pulsatilla 30 Uses In Hindi का उपयोग किया जाता है |
पल्सटिल्ला 30 के लिए आंखों से सम्बन्धित लक्षण और उपयोग
आंखों से गाढ़ा अधिक मात्रा में पीला तरल पदार्थ बहता है। आंखों में जलन होने के साथ ही खुजली होती है। अधिक मात्रा में आंखों से आंसू आता है तथा आंखों से कफ जैसा पदार्थ बहता है। पलकों पर जलन होती है तथा वे आपस में चिपक जाती है। गुहेरी रोग हो जाता है। नेत्रबुघ्न (फनडुस ओसुल) की शिराएं अत्यधिक बढ़ जाती है। छोटे बच्चों के आंखों में जलन होना। पुरानी नेत्रश्लेष्मा में सूजन होने के साथ अपच होना, गर्म कमरे में इस रोग के लक्षणों में वृद्धि होती है। आंखों की दृष्टि धुंधली पड़ जाती है, आंखों के सामने चिंगारियां उड़ती हुई दिखाई देती है और ऐसा लगता है कि जैसे किसी ने उसके गाल पर थप्पड़ मार दिया हो, खुली हवा में आंखों से अधिक आंसू निकलता है। इस प्रकार के लक्षणों में से यदि कोई भी लक्षण किसी व्यक्ति को हो गया है तो उसके रोग के लक्षणों को ठीक करने के लिए पल्सटिल्ला 30 होम्योपैथिक दवा का प्रयोग करना लाभदायक होता है। Pulsatilla 30 Uses In Hindi का उपयोग किया जाता है |
पल्सटिल्ला 30 के लिए नाक से सम्बन्धित लक्षण और उपयोग
सर्दी तथा जुकाम होना, दायीं नाक का बन्द होना, नाक की जड़ में दबाव होने के साथ ही दर्द होना। सूंघने की शक्ति का लोप होना, नाक में बड़ी-बड़ी हरी बदबूदार पपड़ियां जमना, शाम के समय में नाक का बन्द हो जाना, सुबह के समय में नाक के अन्दर से पीला कफ जैसा पदार्थ बहना, पुरानी सर्दी होने के साथ ही बुरी बदबू आना, नाक की हडि्डयों में जलन होना। इस प्रकार के लक्षणों से पीड़ित रोगी के रोग के लक्षणों को ठीक करने के लिए पल्सटिल्ला 30 होम्योपैथिक दवा का प्रयोग करना उचित होता है। Pulsatilla 30 Uses In Hindi का उपयोग किया जाता है |
पल्सटिल्ला 30 के लिए चेहरे से सम्बन्धित लक्षण और उपयोग
चेहरे के दाएं भाग के नाड़ियों में दर्द होना तथा इसके साथ ही अधिक मात्रा में आंखों सें पानी आना, होंठ के निचले भाग में सूजन आना और होंठ का बीच से फट जाना, शाम से लेकर आधी रात तक आननशूल (Prosopalgia) होना, चेहरा अधिक ठण्डा होना और इसके साथ ही चेहरे पर दर्द होना। इस प्रकार के लक्षणों से पीड़ित रोगी के रोग के लक्षणों को ठीक करने के लिए पल्सटिल्ला 30 होम्योपैथिक दवा का प्रयोग करे। Pulsatilla 30 Uses In Hindi का उपयोग किया जाता है |
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पल्सटिल्ला 30 के लिए मुंह से सम्बन्धित लक्षण और उपयोग
जीभ का स्वाद तेल जैसा लगना, मुंह का शुष्क हो जाना और इसके साथ ही प्यास न लगना तथा बार-बार कुल्ला करने का मन करना, सूखे होठों को लगतार चाटते रहना, निचले होंठ के बीच में दरार पड़ना, जीभ पर पीली या सफेद लसीली परत जमना, दांत में दर्द होना तथा मुंह में ठण्डा पानी रखने से दांत के दर्द से आराम मिलना, मुंह से बुरी बदबू आना, भोजन तथा विशेषकर रोटी का स्वाद कड़वा लगना, अत्यधिक मीठी लार आना, स्वाद का बार-बार परिवर्तन होना जैसे- कड़वा, पैत्तिक, तैलायुक्त, नमकीन, सड़ा हुआ। स्वाद की पहचान न हो पाना, पौष्टिक दवाइयों के सेवन करने का मन करना। इस प्रकार के लक्षणों में से यदि कोई भी लक्षण किसी व्यक्ति को हो गया है तो उसके रोग के लक्षणों को ठीक करने के लिए पल्सटिल्ला 30 होम्योपैथिक दवा का प्रयोग करना चाहिए।
पल्सटिल्ला 30 के लिए आमाशय से सम्बन्धित लक्षण और उपयोग
चर्बीदार चीजों तथा गरम खान-पान के चीजों को खाने का मन न करना, डकारें आना तथा भोजन का स्वाद बहुत देर तक जीभ पर बना रहना, बर्फीली चीजों तथा फलों और मीठी चीजों को खाने के बाद ऐसा अधिक होता है और सभी खाद्य-पदार्थों का स्वाद घटा हुआ रहता है, आमाशय में दर्द होता है और ऐसा लगता है जैसे कि ऊपर की त्वचा पर घाव बन गया है, आमाशय में वायु बनना, मक्खन खाने का मन नहीं करता है,
हृदय में जलन होना, अपच होने के साथ ही भोजन के बाद अत्यधिक पेट पर दबाव महसूस होना और कपड़े ढीले करने का मन करना, कई प्रकार के रोगों के साथ प्यास कम लगना, बहुत पहले खाये हुए पदार्थो की उल्टी करना, भोजन के एक घंटे बाद आमाशय में दर्द होना, पत्थर जैसे भार की अनुभूति होना, सुबह जागने पर ऐसा अधिक होता है,
चबाने जैसी भूख की अनुभूति होती है, पेट के अन्दरूनी भाग में कम्पन होती है, पेट में खालीपन महसूस होना तथा ऐसा विशेषकर चाय पीने वाले व्यक्तियों को अधिक होता है। इस प्रकार के लक्षणों में से यदि कोई भी लक्षण किसी व्यक्ति को हो गया है तो उसके रोग के लक्षणों को ठीक करने के लिए पल्सटिल्ला 30 होम्योपैथिक दवा का प्रयोग करना फायदेमन्द होता है। Pulsatilla 30 Uses In Hindi का उपयोग किया जाता है |
पल्सटिल्ला 30 के लिए पेट से सम्बन्धित लक्षण और उपयोग
पेट फूलना तथा इसके साथ दर्द होना और तेज गड़गड़ाहट होना, पेट पर पत्थर के समान दबाव महसूस होना, पेट में दर्द होने के साथ ही शाम के समय में सर्दी लगना। इस प्रकार के लक्षणों से पीड़ित रोगी के रोग के लक्षणों को ठीक करने के लिए पल्सटिल्ला 30 होम्योपैथिक दवा का प्रयोग करना लाभदायक होता है।
पल्सटिल्ला 30 के लिए मल से सम्बन्धित लक्षण और उपयोग
रोगी के पेट में गड़गड़ाहट होती है और पानी की तरह पतला दस्त होता है, रात के समय में ऐसा अधिक होता है, दो बार मल एक जैसा नहीं होता है, फल खाने के बाद पानी की तरह का मल अधिक होता है, सूखी बवासीर होना तथा इसके साथ ही खुजली और गड़ता हुआ दर्द होना, पेचिश होना, इसके साथ ही मल में कफ तथा रक्त जैसे पदार्थ आते हैं और सर्दी लगती है,
सुबह के समय में दो या तीन बार मलत्याग होता है। इस प्रकार के लक्षणों से पीड़ित रोगी के रोग के लक्षणों को ठीक करने के लिए पल्सटिल्ला 30 होम्योपैथिक दवा का प्रयोग करना उचित होता है। Pulsatilla 30 Uses In Hindi का उपयोग किया जाता है |
पल्सटिल्ला 30 के लिए मूत्र से सम्बन्धित लक्षण और उपयोग
पेशाब करने की बहुत अधिक इच्छा होती है तथा लेटते समय ऐसा अधिक होता है, पेशाब करने के समय में और उसके बाद मूत्रद्वार में जलन होना, रात को खांसते समय या मलत्याग करते समय अपने आप पेशाब हो जाना, पेशाब करते समय मूत्राशय में अधिक दर्द होना। इस प्रकार के लक्षणों से पीड़ित रोगी के रोग के लक्षणों को ठीक करने के लिए पल्सटिल्ला 30 होम्योपैथिक दवा का प्रयोग करना चाहिए ।
पल्सटिल्ला 30 के लिए स्त्री रोग से सम्बन्धित लक्षण और उपयोग
मासिकधर्म बन्द हो जाना। पैर भीग जाने से, नाड़ियों में कमजोरी आने से या हृरित्पाण्डु रोग के कारण मासिकधर्म का बन्द हो जाना। मासिकधर्म देर से आता है और कम आता है और गाढ़ा, काला, थक्केदार आता है।
मासिकधर्म के समय में स्राव रुक-रुककर आता है और इसके साथ ही कमर के नीचे के भाग में दबाव महसूस होता है, दर्द होता है तथा जी भी मिचलाता है। किशोरावस्था की आयु में लड़कियों का स्वास्थ्य असन्तुलित हो जाता है और प्रथम मासिकधर्म शुरू होने के बाद से कभी भी स्वस्थ्य सही नहीं रहता है, चेहरे पर मुहांसे निकलते हैं, शरीर में खून की कमी हो जाती है, हरित्पाण्डु रोग होना, श्वास नली में जलन होना या टी.बी. रोग हो जाता है अथवा ऐसे रोग होने का खतरा उत्पन्न हो जाना।
दिन पर दिन बढ़ती हुई बीमारी। गर्भपात हो जाने की आंशका रहती है, स्राव रुक जाता है फिर बड़े वेग से चालू हो जाता है, मरोड़ होती है, दम घुटने लगता है और मूर्छा आने लगती है, खुली ताजी हवा में जाना ही पड़ता है। प्रसव की पीड़ा होने के कारण हृदय की कंपन तेज हो जाती है, दम घुटने लगता है और इसके साथ ही रोगी स्त्री अपना होशों हवास खो देती है। खिड़की दरवाजे खुले रखने पड़ते हैं ताकि स्वच्छ हवा स्त्री को मिल सके।
प्रदर स्राव तेज और ज्वलनशील होता है और स्राव क्रीम जैसा होता है। पीठ पर दर्द होता है तथा थकावट महसूस होती है। स्राव गाढ़ा, मलाई या दूध की तरह, पतला होता है तथा योनि के मुंह के दोनों तरफ सूजन आ जाती है लेटने से लक्षणों में वृद्धि होती है। मासिकधर्म के समय में या उसके बाद अतिसार (दस्त) हो जाता है। इस प्रकार के लक्षणों में से यदि कोई भी लक्षण किसी व्यक्ति को हो गया है तो उसके रोग के लक्षणों को ठीक करने के लिए पल्सटिल्ला 30 होम्योपैथिक दवा का प्रयोग करना फायदेमन्द होता है। Pulsatilla 30 Uses In Hindi का उपयोग किया जाता है |
पल्सटिल्ला 30 के लिए पुरुष रोग से सम्बन्धित लक्षण और उपयोग
अण्डकोष में जलन होना तथा इसके साथ ही अण्डकोषों में दर्द होता है। वीर्यनलिकाओं में जलन होती है जो ठण्ड लग जाने या सुजाक रोग में स्राव दब जाने के कारण होता है। अण्डकोष और वीर्यनलिकाओं में सूजन आ जाती है, पेशाब करने के बाद या सुजाक दब जाने के बाद मूत्रनली से रक्तस्राव होता है। सूजाक रोग में स्राव हरे-पीले या पीले रंग का होता है। सूजाक रोग होने के कारण लिंग में दर्द होता है।
मूत्रमार्ग से गाढ़ा तथा पीला स्राव होता है तथा इसके साथ ही प्रमेह भी हो जाता है। पेशाब बूंद-बूंद करके टपकता है और पेशाब की धार ठीक प्रकार से नहीं बनती है। तेज पुर:स्थग्रन्थि में सूजन होना। मूत्रत्याग करने में दर्द होना तथा ऐंठन भी महसूस होता है और पीठ के बल लेटने पर अधिक दर्द होता है। बच्चों के अण्डकोष में जलन होना तथा पानी उतरना। इस प्रकार के लक्षणों में से यदि कोई भी लक्षण किसी व्यक्ति को हो गया है तो उसके रोग के लक्षणों को ठीक करने के लिए पल्सटिल्ला 30 होम्योपैथिक दवा का प्रयोग करे। Pulsatilla 30 Uses In Hindi का उपयोग किया जाता है |
पल्सटिल्ला 30 के लिए बवासीर से सम्बन्धित लक्षण और उपयोग
बवासीर होने के साथ ही कब्ज ज्यादा होता है और मस्सों में तेज दर्द होता है, मलत्याग करने के बाद मस्सों में दो तीन घंटों तक तेज दर्द होता है, रोगी बेचैन हो जाता है, लेटने और बिस्तर की गर्मी से रोग के लक्षणों में वृद्धि होती है, खुली हवा में घूमने से आराम मिलता है। इस प्रकार के लक्षणों से पीड़ित रोगी के रोग के लक्षणों को ठीक करने के लिए पल्सटिल्ला 30 होम्योपैथिक दवा का प्रयोग करना चाहिए।
पल्सटिल्ला 30 के लिए श्वास संस्थान से सम्बन्धित लक्षण और उपयोग
गले में उत्तेजना होती है और इसके साथ ही अचानक से गले से आवाज निकलना बन्द हो जाता है और अपने आप ही यह ठीक भी हो जाता है। शाम के समय में और रात के समय में खांसी होती है और आराम पाने के लिए बिस्तर पर उठकर बैठने को बाध्य, सुबह बलगमयुक्त खांसी के साथ अधिक मात्रा में कफ निकलता है। छाती पर दबाव महसूस होने के साथ ही दर्द होता है। पाचनतन्त्र में दर्द होता है।
खांसी होने के साथ ही पेशाब बूंद-बूंद करके टपकता है। छाती के बीच में दर्द होता है और ऐसा लगता है कि छाती में घाव हो गया है। बलगम गाढ़ा, कड़वा तथा हरा होता है। सांस उखड़ा-उखड़ा होता है, बाईं करवट लेटने पर धड़कन अनियमित गति से चलती है, लेटने पर दम घुटने जैसी अनुभूति होती है। दिनभर तर तथा ढीली खांसी आती है और रात को सूखी खांसी आती है, शाम के समय में खांसी तेज हो जाती है यहां तक कि रोगी को औंधें होकर बैठना पड़ता है।
पित्ती के दब जाने के बाद दमा रोग का प्रकोप अधिक होना। इस प्रकार के लक्षणों में से यदि कोई भी लक्षण किसी व्यक्ति को हो गया है तो उसके रोग के लक्षणों को ठीक करने के लिए पल्सटिल्ला 30 होम्योपैथिक दवा का प्रयोग करना लाभदायक होता है। Pulsatilla 30 Uses In Hindi का उपयोग किया जाता है |
पल्सटिल्ला 30 के लिए नींद से सम्बन्धित लक्षण और उपयोग
शाम के समय में बिल्कुल नींद नहीं आती है, पहली नींद बेचैन कर देती है, जागने पर थकावट महसूस होती है, शरीर की स्फूर्ति खत्म हो जाती है, दोपहर के बाद अधिक नींद आती है, इस प्रकार के लक्षणों से पीड़ित रोगी अपने हाथों को सिर पर रखकर सोता है। ऐसे लक्षणों से पीड़ित रोगी के रोग को ठीक करने के लिए पल्सटिल्ला 30 होम्योपैथिक दवा का प्रयोग करना उचित होता है।
पल्सटिल्ला 30 के लिए पीठ से सम्बन्धित लक्षण और उपयोग
पीठ के पीछे गर्दन के पास और पीठ पर दर्द होता है, कंधों के बीच में दर्द होता है, बैठने के बाद त्रिकास्थि में गोली लगने जैसा तेज दर्द होता है। इस प्रकार के लक्षणों से पीड़ित रोगी के लक्षणों को ठीक करने के लिए पल्सटिल्ला 30 होम्योपैथिक दवा का प्रयोग करना फायदेमन्द होता है।
पल्सटिल्ला 30 के लिए शरीर के बाहरी अंगों से सम्बन्धित लक्षण और उपयोग
रोगी के जांघों व टांगों में खिंचाव तथा तनाव जैसा दर्द होता है तथा इसके साथ ही बेचैनी होती है और ठण्ड लगने के साथ ही नींद नहीं आती है। शरीर के कई अंगों में दर्द होता है जो तेजी से स्थान बदल देता है, तनाव के साथ दर्द होता है, चटकने के साथ अचानक दर्द बन्द हो जाता है। कोहनी के चारों ओर के अंग सुन्न पड़ जाना।
नितम्ब की हडि्डयों के जोड़ों में दर्द होना। घुटने में सूजन आना तथा इसके साथ ही फाड़ने जैसा दर्द होना और खिंचाव होना। दोपहर के बाद एड़ियों में बरमें द्वारा छेद किये जाने जैसा दर्द, आक्रान्त अंग को लटकाये रखने पर तकलीफ बढ़ जाती है। बांहों व हाथों की शिरायें सूजी हुई रहती है। पैर लाल, प्रदाहित, सूजे हुए रहते है। टांगें भारी और रोग ग्रस्त महसूस होती है। इस प्रकार के लक्षणों से पीड़ित रोगी के लक्षणों को ठीक करने के लिए पल्सटिल्ला 30 होम्योपैथिक दवा का प्रयोग करना चाहिए । Pulsatilla 30 Uses In Hindi का उपयोग किया जाता है |
पल्सटिल्ला 30 के लिए चर्म रोग से सम्बन्धित लक्षण और उपयोग
भारी भोजन करने के बाद छपाकी रोग होना तथा इसके साथ ही मासिकधर्म देर से आना और दस्त भी होना, वस्त्र को उतारने पर रोग के लक्षणों की वृद्धि होती है। खसरा रोग। यौवनकाल में मुंहासें आना। इस प्रकार के लक्षणों से पीड़ित रोगी के रोग के लक्षणों को ठीक करने के लिए पल्सटिल्ला 30 होम्योपैथिक दवा का प्रयोग करना लाभदायक होता है।
पल्सटिल्ला 30 के लिए ज्वर से सम्बन्धित लक्षण और उपयोग
रोगी को ठण्ड अधिक लगती है यहां तक कि गर्म कमरे में भी ठण्ड लगती है, प्यास नहीं लगती है। ठण्ड लगने के साथ ही शरीर के कई सीमित अंगों में दर्द होता है, शाम के समय में दर्द अधिक होता है। शाम के लगभग चार बजे ठण्ड लगती है। रात के समय में शरीर में ऐसी जलन होती है जो असहनीय होती है, इसके साथ ही शरीर के कई अंगों में गर्मी होती है, कुछ अंगों में ठण्ड लगती है। शरीर के एकपार्श्विक भाग में पसीना आता है तथा दर्द होता है। बुखार न होने की अवस्था में सिर में दर्द होता है, अतिसार हो जाता है, भूख नहीं लगती है, जी मिचलाने लगता है। इस प्रकार के लक्षणों से पीड़ित रोगी के रोग के लक्षणों को ठीक करने के लिए पल्सटिल्ला 30 होम्योपैथिक दवा का प्रयोग करना उचित होता है।
वृद्धि (ऐगग्रेवेशन) :-
दूषित भोजन करने, चर्बीदार भोजन करने से, भोजन के बाद, दोपहर के बाद, गर्म कमरे में, बाईं करवट या दर्दहीन करवट लेटने पर, पैरों को लटकायें रखने पर तथा ताप से रोग के लक्षणों में वृद्धि होती है।
शमन (एमेलिओरेशन) :-
खुली हवा में गति करने से, ठण्डे विलेपनो से, ठण्डे भोजन व पेय पदार्थो से रोग के लक्षण नष्ट होने लगते हैं।
सम्बन्ध (रिलेशन) :-
* जिन नये रोग को ठीक करने के लिए पल्सटिल्ला 30 होम्योपैथिक दवा का उपयोग किया जाता है उन्हीं रोगों को ठीक करने के लिए साइलीशिया औषधि का भी उपयोग किया जाता है। अत: साइलीशिया औषधि के कुछ गुणों की तुलना पल्सटिल्ला 30 होम्योपैथिक दवा से कर सकते हैं।
* पल्सटिल्ला 30 होम्योपैथिक दवा के पहले और बाद में कैलि-म्यूर औषधि अच्छा काम करता है।
* पुराने रोग का उपचार शुरू करने के लिए पल्सटिल्ला 30 होम्योपैथिक दवा एक उत्तम औषधि है।
* जो टानिक के सेवन करने से उत्पन्न विकारों को ठीक करने के लिए पल्सटिल्ला 30 होम्योपैथिक दवा का उपयोग किया जाता है।
* कैमोमील, पारा, चाय और सल्फर के उपयोग करने के कारण उत्पन्न रोग को ठीक करने के लिए पल्सटिल्ला 30 होम्योपैथिक दवा का उपयोग किया जाता है।
पूरक औषधि :- साइली, सल्फ-ऐसिड, लाइको तथा कैलि।
मात्रा (डोज) :- पल्सटिल्ला 30 होम्योपैथिक दवा की 3 से 30 शक्ति का प्रयोग रोग के लक्षणों को ठीक करने के लिए करना चाहिए।